Russia Ukraine Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग को 9 महीने हो चुके हैं. युद्ध के खत्म होने की उम्मीद दूर तक नजर नहीं आती. हालांकि इस युद्ध में रूस को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. उसने युद्ध को 7-8 दिन में खत्म करने का दावा किया था, लेकिन अब यह युद्ध 10वें महीने में प्रवेश कर चुका है और यूक्रेन की सेना डटकर रूसी सैनिकों का मुकाबला कर रही है. इस ताकत के पीछे यूरोप देशों का योगदान काफी बड़ा है. अमेरिका के अलावा यूरोप से कई देश यूक्रेन को हथियार की मदद कर रहे हैं. अमेरिका के बाद ब्रिटेन सबसे ज्यादा मदद कर रहा है. अब ब्रिटेन ने इस सिलसिले को जारी रखते हुए युद्ध में बड़ा उलटफेर करने के मकसद से हथियारों की एक बड़ी खेप कीव भेजी है. ब्रिटेन ने इस खेप के साथ घातक ब्रिमस्टोन मिसाइल भी भेजी हैं, जो काफी खतरनाक है. हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे ब्रिमस्टोन पूरे युद्ध का नक्शा बदल सकती है.


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क्या है ब्रिम्सटोन-2 में खास


ब्रिमस्टोन-2 मिसाइल हवा से दागी जाने वाली ब्रिटेन के रॉयल एयरफोर्स की मिसाइल है. वैसे तो युद्ध में यूक्रेन ब्रिमस्टोन मिसाइल का इस्तेमाल 6 महीने से कर रहा है, लेकिन अब ब्रिटेन ने इस खेप के साथ यूक्रेन को इसका अपग्रेडेड वर्जन ब्रिमस्टोन-2 दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, एक ब्रिमस्टोन मिसाइल की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपये है. ब्रिमस्टन-2 मिसाइल की लंबाई करीब 2 मीटर है. इसकी मारक रेंज 13 किमी. तक है. एयरक्राफ्ट से फायर करने पर ब्रिमस्टोन 60 किमी. दूर तक निशाना लगाती है. हेलिकॉप्टर से छोड़ने पर यह 40 किमी तक टारगेट को हिट कर सकती है. वैसे तो ये हवा से दागी जाने वाली मिसाइल है, लेकिन इसे मिलिट्री व्हीकल से भी लॉन्च किया जा सकता है. ये एक लेजर गाइडेड मिसाइल है. इसकी खास बात ये है कि यह इन्फैंट्री, एयरक्राफ्ट या मिलिट्री व्हीकल से दागी जाने वाले लेजर वेपन को ना सिर्फ ट्रैक करती है, बल्कि उन्हें उड़ा भी देती है. इस मिसाइल के वॉरहेड में लेजर गाइडेड ट्रैकिंग सिस्टम लगा है, यही वजह है कि यह मिसाइल अपना टारगेट खुद सेट करती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत सटीक और अचूक वार है.


इराक और सीरिया में में भी मचा चुकी है तबाही


ब्रिमस्टोन मिसाइल इराक और सीरिया में भी तबाही मचा चुकी है. 2015 में ब्रिटिश सेना ने इसी मिसाइल से ISIS के आतंकियों को नष्ट किया था. अब यही महायोद्धा यूक्रेन को मिल चुका है. रूसी सैनिकों के लिए इस मिसाइल से बचना इतना आसान नहीं होगा. हालांकि अभी रूस के सामने सबसे बड़ी समस्या पावर कट की है, जो बढ़ती ठंड में यूक्रेनियों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है.


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