Cooking Oil Crisis in Europe: वस्तु विनिमय प्रणाली के बारे में आपने किताबों में खूब पढ़ा होगा. भारत के ग्रामीण इलाकों में यह सिस्टम आज से 20-25 साल पहले तक नजर आ जाता था. प्राचीन काल में अधिकतर लेन-देन के लिए वस्तु विनिमय ही किया जाता था, लेकिन वक्त के साथ यह खत्म हो गया. लोगों ने इस प्रणाली को पूरी तरह छोड़ दिया, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से यह फिर से लौटता दिख रहा है और कई जगहों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि लोग खरीदारी में इस तरीके को अपना रहे हैं. आइए जानते हैं क्या है इसकी हकीकत.


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अब तक आ चुका है 400 लीटर सनफ्लावर


रिपोर्ट के मुताबिक, इस युद्ध के कारण यूरोप के कई देशों में  खाना पकाने वाले तेल का संकट हो गया है. इस संकट के बीच दक्षिण म्यूनिख में गिज़िंगर ब्रेवरी नामक एक बार ग्राहकों को बियर के लिए सनफ्लावर ऑयल के जरिये पेमेंट करने का विकल्प दे रहा है. बार सनफ्लावर का उपयोग श्नाइटल पकाने के लिए करता है. बार ऑफर के तहत ग्राहकों को 1 लीटर सनफ्लावर ऑयल पर 1 लीटर बियर दे रहा है. बार के मैनेजर एरिक हॉफमैन ने मीडिया को बताया कि, "हमारे पास रसोई में तेल खत्म हो गया था. तेल का जुगाड़ करना काफी मुश्किल हो रहा है. बार चलाने के लिए कोई न कोई इंतजाम करना ही था. ऐसे में हमने यह अनूठा तरीका अपनाया. अभी तक बियर के बदले हमें करीब 400 लीटर सनफ्लावर ऑयल मिल चुका है."


रूस-यूक्रेन युद्ध से गहराया संकट


यूक्रेन-रूस संकट के खत्म होने के संकेत अभी दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं. इस युद्ध की वजह से पूरी दुनिया ईंधन के भीषण संकट से जूझ रही है. इसके अलावा खाने-पीने के तेल का संकट भी बढ़ता जा रहा है. यूक्रेन और रूस सनफ्लावर ऑयल निर्यात में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान देता था. यूरोप के अधिकतर देश खाने के तेल के लिए इन्हीं दोनों देश पर निर्भर थे. ऐसे में यहां सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है.


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