मॉस्को: रूसी वैज्ञानिकों (Russian Scientists) ने पश्चिमी साइबेरिया के यमल प्रायद्वीप (Yamal Peninsula) में बने विशाल गड्ढों के रहस्य से पर्दा उठा दिया है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) की वजह से ये गड्ढे अस्तित्व में आए और मीथेन गैस की अधिकता की वजह से हुए विस्फोट से इनका आकार बढ़ता गया. पहली बार, जब इन गड्ढों के बारे में पता चला था तो इन्हें लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे. कुछ ने इन्हें एलियन की करतूत बताया था, तो कुछ इसे दुनिया के अंत के रूप में देख रहे थे.   


3D मॉडल से हुई रिसर्च 
 


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वैज्ञानिकों ने C7 नाम दिए गए विशाल गड्ढे का 3D मॉडल के आधार पर अध्ययन किया. उन्होंने पहली बार UAV और 3D मॉडल से गड्ढे के अंदर की फोटोग्राफी की, जिससे काफी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आ सकीं. इस गड्ढे का व्यास लगभग 25 मीटर था. रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज के ऑयल एंड गैस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन लेखक इगोर बोगायवलेन्स्की (Igor Bogoyavlensky) ने कहा कि हम तीन बार C7 को खोने के करीब पहुंच गए थे, लेकिन 3D मॉडल से प्राप्त डेटा की वजह से हम रहस्य सुलझाने में सफल हो सके.


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इस वजह से हुआ निर्मित
 


वैज्ञानिकों ने बताया कि जमीन के नीचे गैस का संचय, दबाव में वृद्धि और कैविटी में गैस-डायनामिक प्रोसेस की वजह से पीएचएम में वृद्धि और विस्फोट की वजह से गड्ढा अस्तित्व में आया. उन्होंने कहा कि C17 का गठन तीसरी समुद्री सतह पर परेनिअल हेविंग माउंड (Perennial Heaving Mound PHM) के लंबे समय तक उत्पन्न होने के चलते हुआ.


बड़े पैमाने पर हो रहे Changes
 


मॉस्को में हाइड्रोकार्बन रिकवरी के लिए स्कोल्कोवो इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेंटर के प्रमुख शोध वैज्ञानिक एवगेनी चुविलिन (Evgeny Chuvilin) ने कहा कि नया गड्ढा अच्छी तरह से संरक्षित है, क्योंकि सतह का पानी अभी तक गड्ढे में जमा नहीं हुआ है. इस वजह से हमें अध्ययन करने में आसानी हुई. वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तरी उच्च अक्षांशों पर जलवायु परिवर्तन की वजह से बड़े पैमाने पर बदलाव हो रहे हैं. खासतौर पर पश्चिमी साइबेरिया के यमल और गिदान प्रायद्वीप में बढ़ते तापमान की वजह से मीथेन गैस इतनी ज्यादा मात्रा में जमा हो गई थी कि विस्फोट से गड्ढे बन गए. 


गंभीर परिणामों की चेतावनी
 


वैज्ञानिकों का कहना है कि ये गड्ढे आर्कटिक में तेजी से होते जलवायु परिवर्तन का संकेत देते हैं और इसके स्थानीय निवासियों के साथ ही पूरी दुनिया के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं. बता दें कि मीथेन गैस आमतौर पर Permafrost में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है. यह एक ग्रीनहाउस गैस होती है जो तापमान में हो रही बढ़ोत्तरी की वजह बढ़ गई है. Permafrost हमेशा या कम से कम दो साल लगातार जमा रहने वाले इलाके होते हैं. ये गड्ढे बनने के दो साल के अंदर ही झीलों में तब्दील हो जाते हैं. इसलिए वैज्ञानिकों के लिए इनका अध्ययन करना एक चुनौती बन गई थी.