काठमांडो: नेपाली कांग्रेस के दिग्गज राजनीतिज्ञ शेर बहादुर देउबा को बुधवार (7 जून) को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने देश के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलायी. माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड की जगह 70 वर्षीय देउबा चौथी बार प्रधानमंत्री बने हैं. सत्ता बंटवारा समझौते के तहत नौ महीने बाद प्रचंड ने इस्तीफा देते हुए देउबा का नाम प्रस्तावित किया था.


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नेपाल की सबसे पुरानी पार्टी-नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा को मंगलवार (6 जून) को देश का 40वां प्रधानमंत्री चुना गया. कुल 601 सदस्यों वाली संसद में डाले गए 558 मतों में से देउबा को 388 मत मिले. वह राष्ट्रपति पद के लिये एकमात्र उम्मीदवार थे. प्रधानमंत्री देउबा ने तीन उपप्रधानमंत्री और चार मंत्रियों के साथ आठ सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया है.


नेपाली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल मान श्रेष्ठ को उपप्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री बनाया गया है. ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की वित्त मंत्री बनाए गए हैं. सीपीएन (माओइस्ट सेंटर) के कृष्ण बहादुर महारा को उपप्रधानमंत्री और विदेश मामलों का मंत्री जबकि नेपाली कांग्रेस के नेता फरमुल्ला मंजूर को श्रम एवं रोजगार मंत्री बनाया गया है.


सीपीएन (एमसी) नेता जनार्दन शर्मा को गृह मंत्री नियुक्त किया गया है और उसी पार्टी के प्रभु साह को बिना प्रभार का मंत्री बनाया गया है. नेपाल लोकतांत्रिक फोरम के अध्यक्ष बिजय कुमार गच्छादर को उपप्रधानमंत्री और संघीय एवं स्थानीय विकास मामलों का मंत्री बनाया गया है.


देउबा को 2016 में नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट डिग्री प्रदान की गई थी. भारत के प्रमुख नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं जिससे उन्हें मधेसियों और पहाड़ के लोगों के बीच नाराजगी को दूर करने में मदद मिलेगी.


देउबा ने मधेस आधारित पार्टियों की मांगों को पूरा करने के लिए सितंबर 2015 में लागू किए गए नेपाली संविधान में संशोधन करने में अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने स्थानीय स्तर के चुनावों के दूसरे चरण में भागीदारी के लिए मधेसी पार्टियों को रजामंद करने में भी प्रमुख भूमिका निभाई. सुदूरवर्ती दादेलधुरा जिले से संसद के लिए निर्वाचित देउबा ने मधेसी लोगों की मांगों को पूरा करने के लिए नये संविधान में संशोधन का वादा किया है.


वर्ष 1996 में प्रधानमंत्री के तौर पर देउबा के पूर्व के कार्यकाल में नेपाल और भारत ने नदी जल के साझा इस्तेमाल के लिए ऐतिहासिक महाकाली संधि पर हस्ताक्षर किया था. वह 1995 से 1997, 2001 से 2002 और 2004 और 2005 तक प्रधानमंत्री रहे. इस अवधि में उनके राजनीतिक सफर में कई उतार चढ़ाव आए.


नेपाल के तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 2002 में तख्तापलट से सत्ता हथिया ली थी और देउबा को प्रधानमंत्री पद से हटा दिया था लेकिन लगातार विरोध प्रदर्शनों के बाद 2004 में नरेश को उन्हें फिर से पद पर नियुक्त करना पड़ा. वर्ष 2005 में नरेश ने उन्हें एक बार फिर सत्ता से हटा दिया और भ्रष्टाचार के आरोप पर उन्हें जेल की सजा भी हुई.


गिरिजा प्रसाद कोइराला और देउबा के बीच विवाद के बाद 2002 में नेपाली कांग्रेस में विभाजन हो गया और देउबा के नेतृत्व में नेपाली कांग्रेस-डेमोक्रेटिक का गठन हुआ. वर्ष 2007 में कोइराला और देउबा के बीच समझौता होने के बाद नयी पार्टी का मूल पार्टी में विलय हो गया.