South Korea Morphing Wheels: जरा सोचिए किसी शख्स के पैर काम ना कर रहे हों तो उसे जिंदगी व्हीलचेयर पर ही गुजारनी पड़ती है. लेकिन अब साउथ कोरिया में वैज्ञानिकों ने ऐसी व्हीलचेयर बनाई है, जिसमें लचीले पहिये लगे हैं और वह अपने सामने आने वाली हर रुकावट को ना सिर्फ नेविगेट कर सकती है बल्कि सीढ़ियों पर भी चढ़ सकती है. चौंक गए ना. लेकिन यह सच है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कोरिया इंस्टिट्यूट ऑफ मशीनरी एंड मटीरियल्स (KIMM) के रिसर्चर्स ने ने अपने 'मॉर्फिंग' व्हील के बारे में यही कल्पना की है, जो अपने रेडियस की ऊंचाई से 1.3 गुना ऊंची रुकावटों पर लुढ़क सकता है.


कमाल है ये टेक्नोलॉजी, लोगों को होगा फायदा


जब इन मॉर्फिंग व्हील्स का सामना रुकावटों से होता है, तब यह ठोस से तरल में बदल जाता है. इसके जरिए ऐसे रोबॉट्स भी बनाए जा सकते हैं, जो जंग के मैदान में दुश्मनों की जासूसी कर पाएं


KIMM की टीम को उम्मीद है कि मॉर्फिंग व्हील्स का इस्तेमाल दो और चार पैरों वाले रोबॉट्स में होगा, जिनकी चाल फिलहाल सीमित और कंपन के प्रति संवेदनशील है. ये ऐसे इंडस्ट्रियल सेटिंग्स में ऐसे पेलोड्स ले जा सकते हैं, जिनमें स्थिरता की जरूरत होती है.


साउथ कोरिया के KIMM के मुख्य रिसर्चर सोंग सुंग ह्यूक ने कहा, 'हमारा मकसद है कि इसे 100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलने लायक बनाया जाए या फिर कार की औसत रफ्तार जितना.'


कैसे काम करता है मॉर्फिंग व्हील्स


सोंग ने कहा कि इसी मकसद के लिए बनाए गए पहिये, जैसे कि गैर-वायवीय या वायुहीन टायर, लचीले होते हैं, लेकिन बाधाओं को पार करने की उनकी क्षमता सीमित होती है. 


मॉर्फिंग व्हील में चेन का एक बाहरी घेरा और हब के जरिए चलने वाले स्पोक तारों की एक सीरीज होती है. स्पोक की कठोरता की वजह से पहिया ऑटोमैटिक तौर से एक सेंसर के जरिए कंटोल्ड होती है क्योंकि यह इलाके पर रिएक्ट करता है.


सॉन्ग की टीम ने मॉर्फिंग व्हील्स पर लगे एक प्रोटोटाइप व्हीलचेयर को भी दिखाया, जिसमें उसने 18 सेमी की सीढ़ियां चढ़ी और इसमें उस पर एक इंसान के कद का डमी बैठा था. टीम ने 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पर पहिए के साथ लगे एक उपकरण का भी टेस्ट किया है. अगस्त में मॉर्फिंग व्हील जर्नल राइंस रोबोटिक्स का कवर आर्टिकल था.