Future Technology: हर रोज तकनीकी के क्षेत्र में हो रहे बदलाव के चलते आने वाले वक्त में बहुत कुछ बदलने वाला है. आने वाले वक्त में सेल्फ-ड्राइविंग कारें होगी. इंसानों के ज्यादातर काम रोबोट करेंगे और स्पेस जाना सभी के लिए आसान हो जायेगा. फ्यूचर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश बनने  के लिए भारत समेत दुनिया के कई देश इस दिशा में अभी से काम कर रहे हैं. आज हम आपको दक्षिण कोरिया लेकर चल रहे हैं जहां साल 2053 में दुनिया कैसी होगी उसकी अभी से तैयारियां शुरू हो चुकी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

फ्यूचर टेक सेंटर में भविष्य की झलक


दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में स्थित है फ्यूचर टेक सेंटर (Future Tech Center) में साल 2053 में दुनिया कैसी होगी इसे महसूस किया जा सकता है. यहां ये दिखाया गया है कि आज के मुकाबले 30 साल बाद हज़ारों किलोमीटर की दूरी आप कुछ ही समय में तय कर लेंगे. एक जगह से दूसरी जगह का सफर तय करने के लिए खास तरीके के लूप होगें जिसमें आराम की सभी चीजें होगीं.


फ्यूचर टेक सेंटर में बताया गया है कि जमीन की तरह अंतरिक्ष में भी इंसान की छलांग और भी तेज हो जायेगी.आटोमेटिक रोबोटिक सिस्टम के जरिये स्पेस तक सफर करना बेहद सुरक्षित और आसान होगा..अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन के जरिये अंतरिक्ष से पूरी पृथ्वी पर नज़र रखी जायेगी.


प्राकृतिक आपदा से समय रहते निपटा जा सकेगा


कोरिया की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी SK Telecom की तरफ से बनाये गये इस सेंटर में ये प्रदर्शित किया गया है कि स्पेस स्टेशन के जरिये पृथ्वी पर आने वाले किसी भी प्राकृतिक आपदा से समय रहते निपटा जा सकेगा.यही नहीं अगर कोई उल्का पिंड पृथ्वी की तरफ आ रही होगी तो उससे कैसे निपटा जाएगा इसके बारे में भी पूरी जानकारी दी गई है. मेडिकल के क्षेत्र में भी आने वाला वक्त काफी क्रांतिकारी होगी और मरीज़ों का इलाज रोबोट करेगें.


साउथ कोरिया बनेगा नंबर 1


दरअसल ये महज फ्यूचर टेक्नोलॉजी पर बना कोई म्यूजियम ही नहीं है बल्कि साउथ कोरिया अभी से ही तकनीकी के क्षेत्र में दुनिया का नंबर 1 देश बनने की तैयारी में लग गया है. कोरिया का मानना है कि जिस तरह से उन्होंने बेहद कम समय में पूरी दुनिया में तकनीकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली है उसे कायम रखने के लिए ये जरूरी है कि वो निरंतर इस क्षेत्र में रिसर्च करते रहें. 


इस तरह पूरा होगा मिशन


कोरिया के स्कूलों और कालेजों में पढ़ने वाले बच्चों को इन म्यूजियम के जरिये समझाया जाता है कि कैसे उन्हें भविष्य की तैयारी करनी है. कोरिया में कम्यूनिकेशन से लेकर सेल्फ ड्राइविंग कार और टेक्नालाजी के क्षेत्र में काफी काम किया जा रहा है. कोरिया में ऐसी कार तकनीक पर काम किया जा रहा है जिसमें ऐसे सेंसर लगे हों जिनसे किसी भी दुर्घटना को पूरी तरह से रोक दें. साथ ही इसमें बैठा व्यक्ति पूरी तरह से सुरक्षित हो.कोरिया की ज्यादातर कार कंपनियां महज 24 घंटे में एक कार का प्रोडेक्शन कर रही है और इन्हें पूरी तरह से रोबोट तैयार कर रहे हैं. लेकिन अब इन कारों को इससे भी कम समय में कैसे बनाया जाए इस पर भी रिसर्च किया जा रहा है. 


सियोल यूनिवर्सिटी ने कसी कमर


आखिर कोरिया तकनीकी के क्षेत्र में किस तरह से तैयारियां कर रहा है. उसकी रणनीति समझने के लिए Zee News की टीम कोरिया की सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी गई. सियोल यूनिवर्सिटी की इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में छात्रों को ड्रोन से लेकर राकेट बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. यहां हमें कई भारतीय छात्र भी मिले जो यहां पर रिसर्च के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. एक भारतीय छात्र नें हमें बताया कि दक्षिण कोरिया में यूरोपियन और अमेरिका के मुकाबले कालेज फीस कम है और फेलोशिप भी दी जाती है जिससे उनके लिए यहां आना आसान है.


भारत की तरह कोरिया भी जल्द ही चंद्रयान और मंगलयान मिशन को अंजाम देना चाहता है. इस साल मई महीने में दक्षिण कोरिया ने पहली बार स्वदेशी रॉकेट नूरी का सफल प्रक्षेपण किया था. साउथ कोरिया साल 2032 में चन्द्रमा पर अपना रॉकेट को लैंड करना चाहता है और साल 2045 तक मंगल तक उसकी पहुंचने की महत्वाकांक्षा है.