South Korea President: उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सूक योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद पूरी तरह चुप्पी साध रखी है. दक्षिण कोरिया की नेशनल असेंबली ने शनिवार को यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पास किया, लेकिन रविवार सुबह तक उत्तर कोरिया के किसी भी प्रमुख मीडिया आउटलेट जैसे रोडोंग सिनमुन और कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. यह चुप्पी सवाल खड़े कर रही है क्योंकि आमतौर पर उत्तर कोरिया की मीडिया ऐसे मामलों पर तत्काल प्रतिक्रिया देती है.


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2016 की स्थिति से बिल्कुल अलग..
असल में प्योंगयांग का यह रुख 2016 की स्थिति से बिल्कुल अलग है. जब तत्कालीन दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति पार्क ग्यून-हे पर महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, तो उत्तर कोरिया ने चार घंटे के भीतर इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उस समय प्योंगयांग के प्रचार माध्यम 'उरीमिनजोक्किरी' और केसीएनए ने त्वरित रिपोर्ट प्रकाशित की थी. उत्तर कोरिया ने पार्क के महाभियोग को दक्षिण कोरियाई सरकार की "असफलता" के रूप में प्रस्तुत किया था और इसे अपने प्रचार का हिस्सा बनाया था.


यून सूक योल के खिलाफ महाभियोग..
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार प्योंगयांग की चुप्पी उसकी रणनीतिक सोच को दर्शाती है. उत्तर कोरिया वर्तमान में दक्षिण कोरिया के साथ अपने संबंधों को शत्रुतापूर्ण  रिश्ते के रूप में परिभाषित करता है. इस संदर्भ में यून सूक योल के खिलाफ महाभियोग पर प्रतिक्रिया देने से बचते हुए प्योंगयांग अपने इस दृष्टिकोण को और अधिक स्पष्ट करना चाहता है. यह चुप्पी अंतर-कोरियाई संबंधों की स्थिति को भी उजागर करती है जो लंबे समय से तनावपूर्ण बनी हुई है.


निर्णय के लिए 180 दिन का समय..
दक्षिण कोरिया में, महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद राष्ट्रपति यून को उनके पद से निलंबित कर दिया गया है. प्रधानमंत्री हान डक-सू ने कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार संभाल लिया है. अब सभी की निगाहें संवैधानिक न्यायालय पर हैं, जो यह तय करेगा कि यून को उनके पद से हटाया जाएगा या बहाल किया जाएगा. न्यायालय के पास इस निर्णय के लिए 180 दिन का समय है. इस दौरान देश की राजनीति अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है.


राष्ट्रपति यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का मुख्य कारण उनकी ओर से मंगलवार रात आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा था. हालांकि, अगले ही दिन संसद ने इसे खारिज कर दिया, जिसके बाद मार्शल लॉ को निरस्त कर दिया गया. यह कदम भले ही कुछ घंटों के लिए लागू हुआ हो, लेकिन इसने देश की राजनीति में हलचल मचा दी. उत्तर कोरिया की चुप्पी और दक्षिण कोरिया में राजनीतिक संकट के बीच, यह मामला दोनों देशों के संबंधों के समीकरण को और जटिल बना सकता है. एजेंसी इनपुट