Sudan War:  एक महिला युद्धग्रस्त सूडान की राजधानी से सुरक्षा की तलाश में भाग रही थी, जब उसने खुद को जमीन पर गिरा हुआ पाया, उसके सीने पर राइफल लगी हुई थी,  और फिर एक पैरामिलिट्री फाइटर ने उसके साथ बलात्कार किया. महिला एएफपी से कहा, ‘मुझे यकीन था कि हम मरने वाले थे.’  उसने बताया,  कैसे वह, उसकी छोटी बहन और दो अन्य महिलाओं ( जिनमें से एक नवजात बेटी थी), सभी का यौन शोषण किया गया.


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युद्ध के एक महीने बाद, इस महिला ने कहा, ‘औरतें खार्तूम से भाग रही थीं, जब उनकी मिनीबस को आरएसएफ चौकी पर रोक दिया गया. उसने कहा कि उन्हें एक गोदाम में ले जाया गया जहां एक आदमी ने ‘जो उनका कमांडर लग रहे थे’ उसे जमीन पर गिराने का आदेश दिया,


महिला ने एएफपी को बताया, ‘मुझे एक आदमी ने पकड़ लिया जबकि दूसरे ने मेरे साथ बलात्कार किया. उसके बाद दूसरे ने किया. वे मेरी बहन को अपने साथ रखना चाहते थे. मैंने घुटनों पर गिर गई और हाथ जोड़ बहन को जाने देने की विनती की.’


महिलाओं को अंततः जाने अनुमति दी गई और वह 200 किलोमीटर (120 मील) दूर मदनी चली गईं. उन्होंने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाई उसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.


अप्रैल के मध्य में सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से दर्जनों महिलाओं ने घरों में, सड़क के किनारे और होटलों में इसी तरह के हमलों की जानकरी दी है. सूडान के युद्ध ने कम से कम 1,800 लोगों की जान ली है और 1.5 मिलियन से अधिक लोगों को विस्थापित किया है.


एएफपी से बात करने वाले लोगों, चिकित्सकों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यौन हिंसा की लहर ने संघर्ष की भयावहता को और बढ़ा दिया है. आपबीती सुनाने वाली अधिकांश महिलाओं ने नाम न छापने की गुजारिश की या कुछ ने बदले हुए नाम के इस्तेमाल की इजाजत दी.


सूडान के सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और मोहम्मद हमदान डागलो के नेतृत्व वाले आरएसएफ दोनों एक दूसरे पर इस तरह के हमलों का आरोप लगाया है.


मानवाधिकार वकील जहान हेनरी ने कहा कि वास्तव में दोनों पक्षों ने अतीत में ‘यौन हिंसा के कुख्यात कार्य’किए हैं. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने वाली सरकारी इकाई ने युद्ध के पहले दो हफ्तों में 49 हमलों को दर्ज किया है.


यूनिट प्रमुख सुलेमा इशाक अल-खलीफा ने कहा, ‘छह को छोड़कर सभी मामलों में, बचे लोगों ने ‘आरएसएफ वर्दी में’ पराधियों की पहचान की, और इस तरह की रिपोर्ट्स रात और दिन मिल रही हैं. उन्होंने कहा, ‘खार्तूम में अब एक भी महिला नहीं है जो सुरक्षित महसूस करती हो, यहां तक कि अपने घर में भी नहीं.’


सबसे खतरनाक लड़ाई खार्तूम और दारफुर क्षेत्र में हुई है. सूडान में संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि अदजारतौ नदिये ने कहा कि अब दारफुर में फिर से ‘सामूहिक बलात्कार’ की सूचना मिल रही है.


एक स्थानीय मानवाधिकार रक्षक, आमना ने कहा, एक मामले में, 12 महिलाओं को अप्रैल के अंत में बंदूकधारियों द्वारा रोका गया और एक गोदाम को लूटने में  शामिल होने का आदेश दिया गया.


आमना के मुताबिक, ‘एक बार जब वे अंदर गईं, तो उन्होंने दरवाजे बंद होने की आवाज सुनी फिर उन सभी के साथ बलात्कार किया गया. उन्होंने कहा, ‘उनके साथ पुरुष थे, जिन्हें आरएसएफ की वर्दी पहने लड़ाकों ने अपने ही समूह की महिलाओं से बलात्कार करने के लिए मजबूर किया.‘


आमना ने कहा कि उन्होंने और अन्य कार्यकर्ताओं ने दारफुर में अधिक मामले दर्ज किए हैं.  14 साल की सबसे कम उम्र लड़की के साथ भी रेप किया गया है. उन्होंने कहा, ‘महिलाओं और लड़कियों को उस होटल में रखा जा रहा है जिसे आरएसएफ ने अपने कब्जे में लिया है, वहां उन्हें दो या तीन दिनों तक रखा जाता है, बार-बार बलात्कार किया जाता है..’


चिकित्सकों का कहना है कि कई पीड़ितों को कोई देखभाल नहीं मिल रही है क्योंकि अस्पतालों में तोड़फोड़ की गई है या उन्हें नष्ट कर दिया गया है. सिविल सोसाइटी ग्रुप्स जिन्होंने लोकतंत्र के लिए लंबे समय तक अभियान चलाया और जिन्हें प्रतिरोध समितियों के नाम से जाना जाता है, ने भी कई मामलों की सूचना दी गई है.’


जीवित बची अधिकांश महिलाओं का कहना है कि उन पर आरएसएफ के लड़ाकों ने हमला किया था, जो रिहायशी इलाकों में जमे हुए हैं. खलीफा ने कहा कि यूनिट को ‘सेना की वर्दी में अपराधियों द्वारा हमले की खबर" भी मिली थी, लेकिन ‘अभी तक इसकी पुष्टि नहीं कर पाई है.’


प्रतिरोध समिति के एक सदस्य ने कहा कि पिछले महीने एक अन्य हमले में सेना के तीन जवानों ने उत्तरी खार्तूम के एक घर पर धावा बोल दिया, ‘बेटे को पीटा और मां और बेटी दोनों के साथ बलात्कार किया. उनके पड़ोसियों ने उन्हें घंटों चिल्लाते हुए सुना.’


एक वकील [जिसने लंबे समय से सुरक्षा बलों द्वारा यौन हमलों को दर्ज किया है], ने कहा कि संकट अब ‘सूडानी समाज के हर वर्ग’ को प्रभावित कर रहाहै. उन्होंने कहा, ‘हमने युवा लड़कियों और बूढ़ी महिलाओं, बच्चों के साथ माताओं का बलात्कार देखा है.’


भारी कमी के बीच, हेल्थ वर्कर्स को एचआईवी दवा या आपातकालीन गर्भनिरोधक पीड़ितों को देने के लिए संघर्ष करना पड़ा है. सूडानी फार्मासिस्टों की केंद्रीय समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘स्थिति भयावह है.’


कार्यकर्ता और चिकित्सक हर हमले को दर करने की कोशिश कर रहे हैं. वकील ने कहा, ‘इस काम मकसद यह सुनिश्चित करना है कि कोई सजा से न बच जाए’ लेकिन यह काम खतरनाक है. एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘हर बार जब आप सड़क पर चलते हैं, तो आपको रोका जा सकता है और दोनों पक्षों के मुखबिर होने का आरोप लगाया जा सकता है.‘


कई सहयोगियों द्वारा हिंसक रूप से पूछताछ किए जाने पर आमना ने कहा, ‘वे जानते हैं कि हम क्या कर रहे हैं, और अब कार्यकर्ता स्वयं खतरे में हैं.’