China News:  चीन वैसे तो अपने आपको उदारवादी देश के तौर पर पेश करता है लेकिन सैटेलाइट तस्वीरें पोल खोल देती हैं. रायटर्स ल्हासा के पोटाला पैलेस के बारे में बताया है कि कैसे आजाद बोल बोलने वालों के खिलाफ कड़ी और अमानवीय सजा दिया जाता है. इस संबंध में रैंड यूरोप रिसर्च इंस्टीट्यूट ने खुलासा किया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि स्वायत्त तिब्बत क्षेत्र को डिंटेशन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे आप इनफॉर्मेशन ब्लैक होल कह सकते हैं.रिसर्च करने वालों ने 79 डिटेंशन सेंटर के बारे में अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर जानकारी जुटाई. खासतौर से रात में छानबीन की गई और 14 अतिसंवेदनशील सेंटर्स पर खास ध्यान दिया गया. रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि  2019-20 और 2021-22 में नाइट टाइम लाइटिंग में इजाफा हुआ है. अब इसके मतलब को समझिए. रिपोर्ट के मुताबिक रात में कहीं यदि ज्यादा मात्रा में रोशनी का उत्सर्जन होता है तो उसे स्पेस से देखा जा सकता है. इसका अर्थ यह है कि किसी इलाके में विकास कार्य में इजाफा हुआ है.इसके लिए जिनजियांग का उदाहरण दिया गया लेकिन इस दफा तिब्बती इलाकों में ज्यादा देखा गया है. इसके अलावा एक और तर्क यह है कि किसी जगह पर लोगों की संख्या अधिक है भले ही वहां किसी तरह का विकास कार्य ना हो रहा हो.


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जिंजियांग और तिब्बत में तुलना



शोधकर्ताओं का मानना है कि तिब्बती हिरासत सुविधाओं में बढ़ी हुई गतिविधि लंबी हिरासत की ओर बदलाव की ओर इशारा कर सकती है, जैसा कि शिनजियांग में देखा गया है, जहां बड़ी संख्या में लोगों को पुन: शिक्षा सुविधाओं और उच्च सुरक्षा हिरासत केंद्रों में भेजा गया था। जिंजियांग और मंगोलिया सहित अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों की तरह, तिब्बत ने गैर-हान जातीय अल्पसंख्यकों की धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं पर लंबे समय से कार्रवाई का अनुभव किया है.यात्रा, संचार और सूचना प्रवाह पर सख्त नियंत्रण के कारण टार अंदर से सटीक जानकारी प्राप्त करना अत्यधिक कठिन है. जिंजियांग  के विपरीत जहां अधिक अंतरराष्ट्रीय फोकस और मीडिया कवरेज रहा है.तिब्बत का बड़े पैमाने पर अध्ययन नहीं किया गया है और यह गोपनीयता में छिपा हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत से विश्वसनीय डेटा की कमी का मतलब दमनकारी नियंत्रण की कमी नहीं है बल्कि इस क्षेत्र पर आगे के शोध और अंतरराष्ट्रीय ध्यान की आवश्यकता पर जोर दिया गया है.


चीन के इस कदम की आलोचना


कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार समूहों ने तिब्बती कार्यकर्ताओं, धार्मिक हस्तियों और बुद्धिजीवियों के उत्पीड़न, हिरासत और यातना पर बढ़ती चिंता जताई है. इसके अतिरिक्त, बड़े पैमाने पर निगरानी, अनिवार्य पुन: शिक्षा कार्यक्रम और तिब्बती बच्चों को राज्य संचालित बोर्डिंग स्कूलों में स्थानांतरित करने की आलोचना हुई है। इन कार्रवाइयों का उद्देश्य तिब्बतियों को सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई रूप से प्रमुख हान समाज में शामिल करना है।रैंड यूरोप में रक्षा और सुरक्षा निदेशक रूथ हैरिस ने गार्जियन को बताया कि तिब्बत एक सूचना ब्लैक होल बना हुआ है. जो हर एक जानकारी को अपने अंदर समा लेता है. वहां सुरक्षा से जुड़े मामलों को समझने का कोई भी प्रयास कठिनाई से भरा है.