UK General Election News:  यूनाइटेड किंगडम में गुरुवार को लगभग पांच वर्षों में पहला राष्ट्रीय चुनाव होगा.  ओपनियन पोल संकेत देते हैं कि प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को जनता बाहर का रास्ता दिखा सकती है.


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गौरतलब है कि ग्लोबल वित्तीय संकट के दौरान सेंटर-राइट कंजर्वेटिव ने सत्ता संभाली और तब से वे तीन और चुनाव जीते. लेकिन इन वर्षों में अर्थव्यवस्था में सुस्ती, सार्वजनिक सेवाओं में गिरावट और घोटालों की एक श्रृंखला जारी रही. इसकी वजह से टोरीज (कंजर्वेटिव), लेफ्ट और राइट विंग के आसना टारगेट बन गए.


लेबर पार्टी, (जो वामपंथी है), अपने अभियान को एक शब्द ‘परिवर्तन’ पर केंद्रित करने के बाद अधिकांश ओपनियन पोल में बहुत आगे है.


टोरिज को अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. नई रिफ़ॉर्म पार्टी,  जिसने इमिग्रेशन को कंट्रोल करने में नाकाम रहने के लिए टोरी लीडरिशप पर निशाना साधा. माना जा रहा है कि वह कंजर्वेटिव के दक्षिणपंथी वोटों को अपनी तरफ खींच रही है.


जानते हैं यूके में आम चुनाव की क्या प्रक्रिया है: -


चुनाव कैसे होगा?
यूनाइटेड किंगडम में लोग हाउस ऑफ कॉमन्स के सभी 650 सदस्यों का चुनाव करेंगे, प्रत्येक स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक. कोई प्राइमरी या रन-ऑफ नहीं है, केवल 4 जुलाई को मतदान का एक दौर है.


ब्रिटेन में मतदान की 'पहले स्थान पर आने वाले उम्मीदवार' सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर आने वाले उम्मीदवार को चुना जाएगा, भले ही उन्हें 50% वोट न मिले हों.


इसने आम तौर पर दो सबसे बड़ी पार्टियों, कंजर्वेटिव और लेबर के प्रभुत्व को मजबूत किया है, क्योंकि छोटी पार्टियों के लिए सीटें जीतना मुश्किल होता है जब तक कि उनके पास खास इलाकोंमें केंद्रित समर्थन न हो.


प्रधानमंत्री का चयन कैसे किया जाता है?
सबसे ज़्यादा निर्वाचित सांसदों वाली पार्टी सरकार बनाती है और उसका नेता प्रधानमंत्री बनता है. अगर कोई भी पार्टी चुनाव नहीं जीतती है तो इसे त्रिशंकु संसद कहा जाता है. अगर ऐसा होता है, तो दो या उससे ज़्यादा पार्टियाँ मिलकर गठबंधन सरकार बनाने पर सहमत हो सकती हैं.


सेंटर-लेफ्ट लेबर पार्टी को व्यापक रूप से सबसे मजबूत स्थिति में देखा जा रहा है. 


कौन हैं मैदान में? 
पूर्व ट्रेजरी प्रमुख ऋषि सुनक, जो अक्टूबर 2022 से प्रधानमंत्री हैं, चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी कीर स्टारमर हैं, जो इंग्लैंड में लोक अभियोजन के पूर्व निदेशक और अप्रैल 2020 से लेबर पार्टी के नेता हैं. 


छोटी पार्टियां भी रखती हैं अहमियत 
दो बड़ी पार्टियां- कंजर्वेटिव और लेबर के अलावा अन्य पार्टियां, जिनमें से कुछ को मजबूत क्षेत्रीय समर्थन प्राप्त है, गठबंधन सरकार बनाने में महत्वपूर्ण हो सकती हैं. यह तब होगा जब किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा.  इनमें स्कॉटिश नेशनल पार्टी, जो स्कॉटिश स्वतंत्रता के लिए अभियान चलाती है, लिबरल डेमोक्रेट्स और डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी, जो ब्रिटेन और उत्तरी आयरलैंड के बीच संबंधों को बनाए रखना चाहती हैं प्रमुख हैं. वर्तमान में संसद में कंजरवेटिव और लेबर के बाद ये तीनों सबसे बड़ी पार्टियां हैं. कई एक्सपर्ट मानते हैं कि ब्रेक्सिट अभियानकर्ता निगेल फरेज की अगुआई वाली नई रिफॉर्म पार्टी कंजरवेटिव से वोट छीन सकती है. 


कंजर्वेटिव दबाव में क्यों हैं? 
2010 में सत्ता संभालने के बाद से कंजर्वेटिव को एक के बाद एक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. सबसे पहले ग्लोबल वित्तीय संकट का नतीजा सामने आया, जिसने ब्रिटेन के कर्ज को बढ़ा दिया और बजट को संतुलित करने के लिए टोरीज को कई सालों तक खर्जों पर लगाम लगानी पड़ी. इसके बाद उन्होंने ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर कर दिया, ब्रिटन पश्चिमी यूरोप में सबसे घातक COVID-19 प्रकोपों ​​में से एक से जूझा और रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद इसने मुद्रास्फीति में उछाल देखा. 


कई वोटर ब्रिटेन के सामने आने वाली समस्याओं के लिए कंजर्वेटिव पार्टी को दोषी मानते हैं, जिसमें सीवेज रिसाव और अविश्वसनीय ट्रेन सेवा से लेकर जीवन-यापन की लागत का संकट, अपराध और नावों पर सवार होकर इंग्लिश चैनल पार करने वाले प्रवासियों की आमद शामिल है. 


इसके अलावा, पार्टी भ्रष्टाचार के मोर्च में पर जूझती नजर आई. इसमें सरकारी कार्यालयों में लॉकडाउन तोड़ने वाली पार्टियां भी शामिल हैं। घोटालों के कारण पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पद से हटना पड़ा और अंततः संसद से भी बाहर होना पड़ा, क्योंकि उन पर सांसदों से झूठ बोलने का आरोप लगा था.  उनकी उत्तराधिकारी लिज ट्रस सिर्फ 45 दिन ही सत्ता में रहीं, जबकि उनकी आर्थिक नीतियों ने अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था. 


जुलाई में क्यों हो रहे हैं चुनाव? 
छह सप्ताह पहले सुनक ने जानकारों और अपने अधिकांश सांसदों को चौंका दिया था. उन्होंने 4 जुलाई को चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया. यह उम्मीद से कम से कम तीन महीने पहले थी। 


जबकि अधिकांश जानकारों ने सोचा था कि मतदान शरद ऋतु में होगा. 


सुनक ने गर्मियों में चुनाव पर दांव लगाया, उम्मीद है कि सकारात्मक आर्थिक समाचार उन्हें मतदाताओं को यह समझाने में मदद करेंगे कि कंजर्वेटिव नीतियां असर डाल रही है. 


File photo: Reuters