France General Election 2024: कथित सभ्य देशों में गिने जाने वाले फ्रांस में आम चुनाव के नतीजे आने के बाद दंगे जैसे हालात हैं. वहां पर रिजल्ट आने के बाद हिंसा भड़क गई है.
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Zee News DNA on France General Election 2024: फ्रांस की जनता ने अपने-अपने सांसद चुन लिए हैं. लेकिन इस बार फ्रांस में Hung Assembly है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने, संसद भंग करते हुए मध्यावधि चुनाव करवाए थे. उन्होंने सोचा था कि ऐसा करने से उनकी पार्टी रेनेसां को बहुमत मिलेगा और वो अपने एजेंडे पर आगे बढ़ते रहेंगे. लेकिन नतीजों ने सभी पार्टियों को चौंका दिया है.
577 सीटों पर हुए थे चुनाव
फ्रांस की संसद में 577 सीटों के चुनाव हुए थे. इसमें बहुमत का आंकड़ा होता है 289 लेकिन इस बार सबसे बड़ा गठबंधन वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट यानी NFP रहा है, इसके पास 182 सीटें हैं. दूसरे नंबर पर रही रेनेसां, इसके पास 168 सीटें हैं. तीसरे नंबर पर रही नेशनल रैली यानी NR, इसके पास 143 सीटे हैं.
फ्रांस में शुरू हुए दंगे
फ्रांस में चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल मॉडल पर हिंसा हो रही है. जिस तरह से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद चुनावी हिंसा का दौर चल रहा है. ठीक उसी तरह से फ्रांस में चुनाव के बाद हिंसा शुरू हो गई है. प्रदर्शनकारी, लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ में जुटे हुए हैं. 30 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी, इन प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए सड़कों पर हैं. लेकिन ये दंगा रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
दूसरे दौर के बाद बदले हालात
इस बार के चुनाव में वामपंथी-मुस्लिम संगठन का गठबंधन, लिबरल और दक्षिणपंथी विचारधाराओं वाली पार्टियां मैदान में थीं. असली लड़ाई वामपंथी गठबंधन NFP और दक्षिणपंथी गठबंधन NR के बीच थी. चुनाव के पहले राउंड में नेशनल रैली आगे भी चल रही थी. ये माना जा रहा था कि परिणाम भी उनके पक्ष में रहेगा. लेकिन दूसरे दौर की वोटिंग में अचानक स्थिति बदल गई.
दूसरे राउंड में वामपंथी-मुस्लिम गठबंधन आगे निकल गया. ऐसा कहा जा रहा था कि अगर दक्षिणपंथी गठबंधन नेशनल रैली जीता, तो वामपंथी गठबंधन हिंसा करेगा, लेकिन वामपंथी गठबंधन, सबसे बड़ा गठबंधन बन गया है, बावजूद इसके फ्रांस में हिंसा चरम पर है.
वामपंथी-मुस्लिम गठबंधन का दबदबा
वामपंथी-मुस्लिम गठबंधन का मुख्य एजेंडा फिलीस्तीन को मान्यता देना था. इसके अलावा उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी नेशनल रैली गठबंधन का मुख्य मुद्दा, अवैध घुसपैठियों को उनके देश वापस भेजना, कट्टर इस्लाम का विरोध, हिजाब का विरोध और इजरायल से दोस्ती बढ़ाना था. यही वजह थी कि इस बार इन दोनों गठबंधन के बीच असली लड़ाई थी. इसीलिए हिंसा को इन्हीं दोनों गठबंधन के समर्थकों से जोड़कर देखा जा रहा है.
मैक्रों के लिए आसान नहीं होगी राह
देखा जाए तो वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट, रेनेसां और दक्षिणपंथी नेशनल रैली में से किसी के पास भी बहुमत का आंकड़ा नहीं है. लेकिन फ्रांस में सबसे बड़े दल के तौर पर वामपंथी गठबंधन है. अब आने वाले समय में इमैनुअल मैक्रों को फ्रांस का नया प्रधानमंत्री चुनना है. माना जा रहा है कि उन्हें मजबूरन वामपंथी गठबंधन के नेता को ही पीएम चुनना पड़ेगा. इसका एक नुकसान ये भी होगा कि आने वाले समय में मैक्रों के लिए कड़े फैसले लेना मुश्किल हो जाएगा.