ओस्लो: नॉर्वे (Norway) और आर्कटिक महासागर में स्वालबार्ड द्वीपसमूह (Svalbard Archipelago In The Arctic Ocean) को कनेक्ट करने वाली केबल ने रहस्यमय ढंग से काम करना बंद कर दिया है. समुद्र के नीचे मौजूद ये केबल (Undersea Fiberoptic Cable) इंटरनेट कनेक्शन और कम्युनिकेशन लिंक प्रदान करती है. अब केवल एक ही केबल बची है और यदि वो भी काम करना बंद कर देती है, तो स्वालबार्ड का संपर्क बाहरी दुनिया से कट जाएगा.


सैटेलाइट स्टेशन को देती है पावर


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अपनी तरह की इस अनोखी केबल ने 7 जनवरी को काम करना बंद कर दिया था, लेकिन केबल की देखरेख करने वाली कंपनी ‘स्पेस नॉर्वे’ ने 10 जनवरी को इसकी जानकारी दी. केबल ‘स्पेस नॉर्वे’ को स्वालबार्ड सैटेलाइट स्टेशन (स्वालसैट) चलाने के लिए आवश्यक पावर भी प्रदान करती है और द्वीपों पर ब्रॉडबैंड इंटरनेट कनेक्शन उपलब्ध कराती है.


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Russia का तो नहीं हाथ? 


यह बात सामने आई है कि ब्रिटेन के नए चीफ ऑफ डिफेंस एडमिरल सर टोनी राडाकिन ने चेतावनी दी थी कि रूस ब्रिटेन का समर्थन करने वालीं पानी के नीचे मौजूद ऐसी केबलों को नुकसान पहुंचा सकता है. एक इंटरव्यू में, राडाकिन ने कहा था कि पिछले 20 वर्षों में रूसी पनडुब्बी की गतिविधियों में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और रूस ने पानी के नीचे से गुजरने वालीं केबलों को खतरे में डालने की क्षमता विकसित की है.


एक केबल के भरोसे कम्युनिकेशन


स्पेस नॉर्वे ने बताया कि शुक्रवार सुबह स्थानीय समयानुसार सुबह 4:10 बजे पहली बार इस खराबी के बारे में पता चला. कंपनी ने ये नहीं बताया कि खराबी कैसे आई और डैमेज कितना ज्यादा है, लेकिन इतना कहा कि मरम्मत के लिए केबल-बिछाने वाले पोत को भेजने की जरूरत है. कंपनी ने जोर देकर कहा कि स्वालबार्ड और मेनलैंड के बीच संचार अभी भी चालू था, लेकिन माना कि यदि काम कर रही एकमात्र केबल में भी खराबी आती है, तो कम्युनिकेशन पूरी तरह से ठप्प हो जाएगा.


इसलिए जरूरी है काम करते रहना


स्वालसैट साइट स्वालबार्ड पर एक माउंटेन रिज के ऊपर स्थित है और इसमें 100 से अधिक उपग्रह एंटेना शामिल हैं, जो ध्रुवीय परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के लिए महत्वपूर्ण हैं. इस साइट पर दो ग्राउंड स्टेशनों में से एक मौजूद है, जहां से पृथ्वी के रोटेशन पर इस प्रकार के उपग्रहों से डेटा डाउनलोड किया जा सकता है, इसलिए इसका काम करते रहना बेहद जरूरी है. कुछ वक्त पहले रूसी अधिकारियों ने सुझाव दिया था कि स्वालसेट साइट का इस्तेमाल सैन्य उपग्रहों के साथ-साथ वाणिज्यिक उपग्रहों से डेटा डाउनलोड करने के लिए भी किया जा सकता है, जबकि स्वालबार्ड एक निर्दिष्ट विसैन्यीकृत क्षेत्र में स्थित है, ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि रूसी पनडुब्बियां इस खराबी के लिए जिम्मेदार हैं.


नई जंग की आहट तो नहीं?


समुद्र के नीचे मौजूद केबल्स 97 प्रतिशत इंटरनेशनल कम्युनिकेशन के लिए जिम्मेदार हैं. लिहाजा माना जाता है कि इन केबलों को अक्षम करना, या उन तक पहुंच प्राप्त करने का प्रयास करना, डिजिटल युग में एक नए युद्ध की वजह बन सकता है. पानी के नीचे बिछाई जाने वालीं ये केबल आसानी से खराब नहीं होतीं, इन्हें काटना बहुत मुश्किल है, लेकिन सैन्य पनडुब्बियां और मानव रहित पनडुब्बियां ऐसा करने में सक्षम हैं. इसलिए आशंका जताई जा रही है कि रूस ने ही इस काम को अंजाम दिया होगा.