United Kingdom Population and NRI: पिछले महीने भारतीय मूल के ऋषि सुनक जब यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बने तो इस बात की खूब चर्चा हुई कि कैसे एक शख्स जिसके पिता किसी और देश से संबंध रखते थे वो ब्रिटेन का पीएम बन गया. अगर गौर से देखें तो इसके पीछे की वजह यूके के मूल निवासियों की घटती जनसंख्या और वहां प्रवासियों की बढ़ती संख्या है. हाल ही में यूके के ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी एक रिपोर्ट सारी कहानी बयां करती है.


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पोलैंड के लोग दूसरे नंबर पर


इस रिपोर्ट के मुताबिक, इंग्लैंड और वेल्स में रह रहे छह नागरिकों में से एक का जन्म विदेश में, विशेषकर भारत में हुआ है. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2021 में इंग्लैंड व वेल्स में रहने वाले 16.8 फीसदी लोग ऐसे थे जिनकी पैदाइश विदेश थी. यह संख्या एक दशक पहले तक 13.4 प्रतिशत तक थी. आंकड़े कहते हैं कि यहां विदेशी मूल के निवासियों की संख्या एक दशक में 2.5 मिलियन से बढ़कर 10 मिलियन हो गई है. 2021 में यहां रहने वाले पोलैंड के नागरिकों की संख्या 743,000 हो गई, जो 2011 में 579,000 थी. पाकिस्तानियों की संख्या 2021 में बढ़कर 624,000 हो गई, जबकि 2011 में यह 2011 में 482,000 थी.


लंदन में 36.7 पर्सेंट लोगों के पास यूके का पासपोर्ट नहीं


रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासियों की वजह से 2011 और 2021 के बीच देश की जनसंख्या में 6.3 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है. यहां 5.9 मिलियन लोगों यानी 9.9 प्रतिशत आबादी ऐसी है जिसके पास यूके का पासपोर्ट नहीं है. 2011 में लंदन में ऐसे लोगों की संख्या 36.7 पर्सेंट थी, जो विदेश में पैदा हुए हैं. अब यह संख्या 40.6 प्रतिशत हो गई है. वेल्स और नॉर्थ ईस्ट इंग्लैंड में ऐसे लोगों की संख्या 7 फीसदी है.


ब्रिटेन में सबसे ज्यादा लोग भारत के


इस आंकड़े में ये भी कहा गया है कि ब्रिटेन से बाहर पैदा हुए निवासियों के मामले में भारत के लोग टॉप पर हैं. पिछले साल भारतीय मूल के लोगों की संख्या 9,20,000 थी.  इसके बाद पोलैंड का नंबर आता है, जिसके 7,43,000 लोग वहां रहते हैं. 2,24,000 लोगों के साथ तीसरे नंबर पर पाकिस्तान आता है. इस संस्था ने अपनी इस रिपोर्ट में साफ कहा है कि इंग्लैंड और वेल्स के छह आम निवासियों में से एक ब्रिटेन के बाहर पैदा हुआ है.


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