वॉशिंगटन: सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक (Facebook) पर रंगभेद का आरोप लगाया है. एक कर्मचारी सहित चार लोगों ने आरोप लगाया है कि कंपनी नौकरी (Hiring) और पदोन्नति (Promotions) में भेदभाव करती है. अमेरिकी संस्था ‘समान रोजगार अवसर आयोग’ (Equal Employment Opportunity Commission-EEOC) ने इन आरोपों की जांच शुरू कर दी है. वहीं, फेसबुक ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साधे रखी है. आयोग को शक है कि फेसबुक में बड़े पैमाने पर नस्लीय पूर्वाग्रह (Racial Bias) के आधार पर फैसले लिए जा रहे हैं.  


ऐसे काम करता है EEOC


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EEOC आमतौर पर मध्यस्थता के माध्यम से विवादों को हल करता है और जरूरत पड़ने पर शिकायतकर्ताओं को नियोक्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति भी देता है. फेसबुक (Facebook) के खिलाफ लगे आरोपों की आयोग ‘प्रणालीगत’ जांच (Systemic Probe) कर रहा है. इस तरह की जांच में कंपनी के डेटा का विश्लेषण करने के लिए विशेषज्ञों की मदद ली जाती है और उसी आधार पर मुकदमा दायर किया जाता है.


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इन्होंने की Complaint


फेसबुक के ऑपरेशन प्रोग्राम मैनेजर ऑस्कर वेन्सेजी जूनियर (Oscar Veneszee Jr.) और नौकरी के लिए आवेदन करने वाले तीन अन्य लोगों ने कंपनी पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए ‘समान रोजगार अवसर आयोग’ से गुहार लगाई थी. चारों का कहना है कि फेसबुक अश्वेत लोगों (Black People) से भेदभाव करती है और नौकरी एवं पदोन्नति का फैसला लोगों की जाति-धर्म देखकर लिया जाता है. शिकायत मिलने के बाद आयोग ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया है. 


Facebook ने किया अपना बचाव


वहीं, फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन (Andy Stone) ने जांच या आरोपों पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उन्होंने केवल यही कहा कि सभी कर्मचारियों को एक सम्मानजनक और सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना आवश्यक है. हम भेदभाव के किसी भी आरोप को गंभीरता से लेते हैं और हर मामले की जांच करते हैं. पीड़ितों के वकील पीटर रोमर-फ्रीडमैन के मुताबिक, EEOC मामले की प्रणालीगत जांच कर रहा है और दोनों पक्षों से इस संबंध में आवश्यक डॉक्यूमेंट लिए गए हैं. 


Policy पर उठाए सवाल


पीटर रोमर-फ्रीडमैन ने बताया कि फेसबुक की एक नीति यह भी है कि यदि कोई कर्मचारी किसी कैंडिडेट को रेफर करता है और उसे नौकरी मिल जाती है तो संबंधित कर्मचारी को पांच हजार डॉलर का बोनस दिया जाता है. आमतौर पर कर्मचारी अपने जैसे कैंडिडेट को ही रेफर करते हैं, इस वजह से अश्वेत लोगों को नौकरी मिलने की संभावना कम हो जाती है. इसके जवाब में फेसबुक का कहना है कि पिछले साल जून तक उसकी अमेरिकी कर्मचारियों में से 3.9 अश्वेत ही थे.


पहले भी लगे हैं आरोप


वैसे ये कोई पहला मामला नहीं है जब फेसबुक पर भेदभाव का आरोप लगा है. पिछले साल दिसम्बर में अमेरिकी न्याय विभाग ने भी ऐसे ही एक मामले में कंपनी को लताड़ लगाई थी. न्याय विभाग ने कहा था कि फेसबुक ने अमेरिकी कर्मचारियों से भेदभाव किया. उसने अमेरिकियों को नौकरी पर रहने के बजाए  एच-1 बी वीजा धारकों को प्राथमिकता दी. 


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