Russia-Ukraine War: जंग के बीच रूस के `तेल` पर होगा `खेल`, US के गेमप्लान से भारत पर पड़ेगा असर!
Ukraine-Russia Conflict: कीमतों की सीमा तय करने का मकसद अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में तेल का फ्लो बनाए रखना है और मॉस्को को वॉर मशीन के लिए रेवेन्यू जुटाने के साथ-साथ कीमतों में वृद्धि को रोकना है.
US-Russia Oil: अमेरिका और उसके सहयोगी देश रूस को और एक झटका देने जा रहे हैं. ये देश जल्द ही रूस से ऑयल एक्सपोर्ट पर मूल्य सीमा की घोषणा करेंगे. इस कदम को रूस के लिए यूक्रेन पर हमले की सजा के तौर पर देखा जा रहा है. रॉयटर्स के अनुसार, जी-7 के सदस्य देशों, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया 5 दिसंबर से मूल्य सीमा को लागू करने के लिए तैयार हैं और गठबंधन शायद साल में कुछ दफा लेवल को एडजस्ट करेगा, हर महीने नहीं.
कीमतों की सीमा तय करने का मकसद अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में तेल का फ्लो बनाए रखना है और मॉस्को को वॉर मशीन के लिए रेवेन्यू जुटाने के साथ-साथ कीमतों में वृद्धि को रोकना है. एएफपी की रिपोर्ट में अमेरिकी ट्रेजरी के एक अधिकारी का हवाला देते हुए कहा गया कि यूरोपीय संघ अपने सदस्यों के साथ कीमतों के स्तर के बारे में बात कर रहा है. एक बार यूरोपीय संघ की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, गठबंधन कैप लगाने के लिए कार्रवाई करेगा.
'रूस जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा'
अधिकारी ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में वे प्राइज सेटिंग पर सलाह-मशविरा को पूरा कर लेंगे, और हम एक गठबंधन के तौर पर 5 दिसंबर से पहले मूल्य सीमा को लागू करने को लेकर आगे बढ़ पाएंगे.' उन्होंने दावा किया, 'रूस नई नीति के खिलाफ जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा क्योंकि यह उनके हित में नहीं है.'
अधिकारी ने कहा, 'कीमतें बढ़ाने को लेकर वे जो भी कदम उठाते हैं, उसका असर उनके नए ग्राहकों, भारत और चीन पर पड़ेगा.' ट्रेजरी अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि कीमत पर कैप रूस को फायदा पहुंचाएगा जबकि मूल्य मुद्रास्फीति के जरिए अतिरिक्त लाभ कमाने से रोकेगा.
रूस ने दागी 4700 मिसाइलें!
हाल ही में यूक्रेनी राष्ट्रपति वलेडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद मॉस्को ने यूक्रेन में 4,700 से अधिक मिसाइलें लॉन्च की हैं. एक वीडियो संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा था, 'रूस ने युद्ध के 270 दिनों में 4,700 से अधिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया है. हमारे सैकड़ों शहरों को जला दिया गया है, हजारों लोग मारे गए. सैकड़ों हजारों को जबरन रूस भेज दिया गया. लाखों लोगों ने युद्ध से भागकर अन्य देशों के लिए यूक्रेन छोड़ दिया.'
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