PM Modi meet Volodymyr Zelensky: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी यात्रा के अंतिम दिन न्यूयॉर्क में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की. पीएम मोदी और जेलेंस्की की पिछले तीन महीने में यह तीसरी मुलाकात है. पीएम मोदी की इस मुलाकात के बाद अमेरिका की उम्मीद जग गई है और भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने इशारों ही इशारों में कहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को भारत रुकवा सकता है. बता दें कि पीएम मोदी ने पिछले महीने यूक्रेन का दौरान किया था जेलेंस्की से मुलाकात की थी. इससे पहले पीएम मोदी जुलाई में रूस गए थे, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी.


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पीएम मोदी ने शांति बहाली के समर्थन को दोहराया


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की फोटो शेयर की है और यूक्रेन में शांति बहाली के समर्थन को दोहराया है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की. हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए पिछले महीने यूक्रेन की अपनी यात्रा के परिणामों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यूक्रेन में संघर्ष के शीघ्र समाधान और शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत के समर्थन को दोहराया.'



अमेरिका की जग गई उम्मीद


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की मुलाकात के बाद भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने इशारा किया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को भारत रुकवा सकता है. गार्सेटी ने कहा, 'यूक्रेन और रूस के साथ भारत के जो संबंध रहे हैं, मुझे लगता है कि वे प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर और अन्य लोगों को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार करते हैं. और अगर हम उन सिद्धांतों को साथ रखते हैं, तो मुझे लगता है कि हम इसका स्वागत करते हैं क्योंकि दोस्तों के साथ कठिन बातचीत करनी होगी. भारत दरवाजे खोलता है, कभी-कभी अमेरिका नहीं करता और इसके विपरीत... जैसा कि हमने देखा है कि दो लोकतंत्रों ने दो चुनाव कराए हैं, यह दर्शाता है कि लोकतंत्र मजबूत है, कानून का शासन मायने रखता है, सिद्धांतों का शासन होना चाहिए...'



एरिक गार्सेटी ने कहा, 'हम शांति स्थापना में सभी के सहयोग और भागीदारी का स्वागत करते हैं. शांति स्थापना कठिन काम है. इसके लिए दोस्तों के साथ कठिन बातचीत की आवश्यकता होती है. मुझे लगता है कि अगर आप इस सिद्धांत से शुरू करते हैं कि दुनिया में हमारे पास सबसे महत्वपूर्ण कानून सीमाओं की संप्रभुता है. भारत हर दिन इसी के साथ रहता है. यह स्पष्ट है कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शांति किसी भी देश की कीमत पर न आए. इसलिए हम उस भागीदारी का स्वागत करते हैं जब तक कि वह उस संप्रभु सीमा के पार एक संप्रभु देश पर अनुचित, बिना मांगे आक्रमण के उन सिद्धांतों का पालन करती है.'