जिन्होंने हर कदम पर दिया साथ, उन बहादुरों को भी Taliban के हाथों मरने के लिए छोड़ गया अमेरिका
एक तरफ जहां भारत काबुल से जाते समय अपने सर्विस डॉग्स को साथ लेना नहीं भूला, वहीं अमेरिका अपने बहादुरों को तालिबान के हाथों मरने के लिए छोड़ आया है. इस शर्मनाक हरकत के लिए अमेरिकी सेना की हर तरफ आलोचना हो रही है. उसे भारत से सीख लेने की नसीहत दी जा रही है.
वॉशिंगटन: अफगानिस्तान (Afghanistan) को लेकर अमेरिका (America) की एक बार फिर से आलोचना हो रही है. इस बार निशाने पर अमेरिकी सेना भी है, जो अपने वफादार सर्विस डॉग्स (Service Dogs) को तालिबान (Taliban) के हाथों मरने के लिए छोड़ आई है. तालिबान की डेडलाइन से एक दिन पहले ही अफगानिस्तान छोड़ने वाले यूएस सैनिक मुश्किल वक्त में साथ देने वाले कई अफगानियों के साथ-साथ अपने बहादुर कुत्तों को भी उनके हाल पर छोड़ आये हैं. केज में बंद इन कुत्तों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं और इस शर्मनाक काम के लिए अमेरिका की जमकर आलोचना हो रही है. बता दें कि अमेरिका से इतर भारतीय दूतावास ने मुश्किल वक्त में अपने सर्विस को अकेला नहीं छोड़ा था. तीनों डॉग्स को काबुल से सुरक्षित बाहर लाया गया था.
46 Service Dogs सहित 130 को छोड़ा
‘डेली मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सेना 46 सर्विस डॉग सहित कुल 130 जानवरों को अफगानिस्तान में छोड़ आई है. इसमें पालतू बिल्लियां भी शामिल हैं. हालांकि, पेंटागन ने इन आरोपों से इनकार किया है. पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी का कहना है कि यूएस सैनिक किसी सर्विस डॉग को काबुल में छोड़कर नहीं आई. जिन डॉग्स की बात हो रही है वो अमेरिकी मैक्सवेल-जोन्स द्वारा स्थापित काबुल स्मॉल एनिमल रेस्क्यू चैरिटी के हैं. ये कुत्ते अमेरिकी सेना की देखरेख में नहीं थे.
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आखिरी वक्त पर Troops ने किया इनकार
पेंटागन ने भले ही डॉग्स को अपना मानने से इनकार कर दिया है, लेकिन ये बात सामने आई है कि इनमें से कुछ कुत्तों को अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में अपने काम के लिए इस्तेमाल करती थी. वहीं, सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (SPCA) का कहना है कि मैक्सवेल-जोन्स 46 वोर्किंग डॉग्स को काबुल से बाहर निकालने का अभियान चला रही हैं. उन्होंने बताया कि आखिरी वक्त तक उन्हें यही भरोसा दिलाया जाता रहा कि डॉग्स को साथ ले जाया जाएगा, लेकिन फिर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया.
बहादुरी के इस इनाम पर घिरा US
पशु कल्याण समूह अमेरिकन ह्यूमेन (American Humane) के अध्यक्ष और सीईओ रॉबिन आर गैंजर्ट (Robin R. Ganzert) ने कहा, ‘ये बहादुर कुत्ते सैनिकों की तरह की खतरनाक काम करते हैं, जिंदगियां बचाने का काम करते हैं. उन्हें इस तरह मरने के लिए छोड़ना छोड़ना निंदनीय है. उन्हें बेहतर सेवाएं मिलनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने बहादुरी से हमारे देश की सेवा की है’. इसी तरह कई अन्य गैर सरकार संगठनों ने डॉग्स को बचाने की गुहार लगाते हुए अमेरिका की आलोचना की है. वहीं, सोशल मीडिया पर भी अमेरिका को निशाना बनाया जा रहा है.
हर तरफ हो रही India की तारीफ
इस पूरे मामले में भारत की तारीफ हो रही है, क्योंकि उसने अमेरिका की तरह अपने डॉग्स को मरने के लिए नहीं छोड़ा. भारतीय दूतावास के कर्मचारियों ने यह सुनिश्चित किया कि अफगानिस्तान छोड़ते वक्त तीनों सर्विस डॉग्स भी उनके साथ जाएं. माया, रूबी और बॉबी नाम के ये डॉग्स काबुल में भारतीय दूतावास में तैनात थे. जब नई दिल्ली ने वहां तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) कर्मियों को भारतीय वायु सेना की मदद से रेस्क्यु किया, तब इन डॉग्स को भी भारत लाया गया.