World News in Hindi: जेफरी लॉन्ग केंटकी, अमेरिका में एक विकिरण ऑन्कोलॉजिस्ट हैं. वह नियर-डेथ एक्सपीरियंस रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं. उन्होंने दावा किया है कि वह 5 हजार से अधिक मृत्यु के करीब अनुभवों का अध्ययन कर चुके हैं. वह यह भी कहते हैं कि उनकी रिसर्च बताती है मृत्यु के बाद जीवन है और इसमें कोई शक ही नहीं है.


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लॉन्ग के मुताबिक मेडिकल रेजीडेंसी पूरी करने के दौरान वह नियर-डेथ एक्सपीरियंस (NDE) की तरफ आकर्षित हो गए थे और फिर उन्होंने इस पर रिसर्च करने के लिए एक संस्थान ही खोल दिया. लॉन्ग उन लोगों की कहानियों को इकठ्ठा करते हैं जो नियर-डेथ एक्सपीरियंस का दावा करते हैं और इनकी वे वैज्ञानिक तौर पर स्टडी करते हैं.


मृत व्यक्ति देख सकते हैं
इनसाइडर की एक रिपोर्ट में डॉ लॉन्ग कहते हैं, ‘मैं मृत्यु के करीब के अनुभव को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता हूं जो या तो कोमा में है या क्लिनिकल डेड है, उसके दिल की धड़कन नहीं है, जिसके पास एक स्पष्ट अनुभव है जहां वे देखते हैं, सुनते हैं, भावनाओं को महसूस करते हैं और अन्य प्राणियों के साथ बातचीत करते हैं। इन अनुभवों के बारे में और अधिक जानने से ब्रह्मांड के बारे में मेरा दृष्टिकोण मौलिक रूप से बदल गया है।‘


रिपोर्ट में वह बताते हैं, ‘कोई भी दो NDE एक जैसे नहीं होते हैं. लेकिन जैसे ही मैंने उनमें से हजारों का अध्ययन किया, मैंने पूर्वानुमानित क्रम में उभरती घटनाओं का एक सुसंगत पैटर्न देखा. NDE से पीड़ित लगभग 45% लोग शरीर से बाहर अनुभव की रिपोर्ट करते हैं. जब ऐसा होता है, तो उनकी चेतना उनके भौतिक शरीर से अलग हो जाती है, आमतौर पर शरीर के ऊपर मंडराती रहती है.‘


डॉ लॉन्ग के मुताबिक व्यक्ति देख और सुन सकता है कि उसके आस-पास क्या हो रहा है, जिसमें आमतौर पर उसे पुनर्जीवित करने के उन्मत्त प्रयास शामिल होते हैं. एक महिला ने तो यह भी बताया कि एक डॉक्टर ने गलत उपकरण उठा लिया तो उसने उसे फर्श पर फेंक दिया - डॉक्टर ने बाद में इसकी पुष्टि की.’


कई लोग सुरंग से गुजरते हैं
डॉ लॉन्ग ने बताया, ‘शरीर से बाहर के अनुभव के बाद, लोग कहते हैं कि वे दूसरे लोक में चले गए हैं. कई लोग सुरंग से गुजरते हैं और तेज़ रोशनी का अनुभव करते हैं. फिर, उनका स्वागत मृत प्रियजनों द्वारा किया जाता है, जिनमें पालतू जानवर भी शामिल हैं, जो अपने जीवन के चरम पर हैं. अधिकांश लोग प्रेम और शांति की अत्यधिक भावना की रिपोर्ट करते हैं. उन्हें ऐसा लगता है जैसे यह दूसरा क्षेत्र ही उनका असली घर है.’


हालांकि, लॉन्ग जेफरी ने स्वीकार किया कि उन्हें कभी भी ‘इन अनुभवों के लिए कोई वैज्ञानिक स्पष्टीकरण’ नहीं मिला है. उनका यह भी कहना है कि एनडीई शोध ने उन्हें बेहतर कैंसर डॉक्टर बनने में मदद की है. हालांकि वह अपने मरीजों को इस शोध के बारे में नहीं बताते हैं.