Indonesia Education News: हर सुबह, इंडोनेशिया की सड़कों पर स्कूली छात्र को ‘ज़ोंबी’ की तरह ‘रेंगते’ देखा जा सकता है.  इन छात्रों की आंखों में नींद भरी होती है. दरअसल ये किशोर एक नए विवादास्पद प्रयोग के न चाहते हुए भी भागीदार बन गए हैं. यह पायलट प्रोजेक्ट पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत की राजधानी कुपांग में हो रहा है. इसके तहत, 10 हाई स्कूल बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए सुबह 5:30 बजे से कक्षाएं शुरू की गई हैं.


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इसस्कीम की घोषणा पिछले महीने गवर्नर विक्टर लाईस्कोदत ने की थी. अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद बच्चों के अनुशासन को मजबूत करना है.


पैरेंट्स इस स्कीम से खुश नहीं
हालांकि पैरेंट्स इसस्कीम से खुश नहीं हैं. एएफपी के अनुसार, माता-पिता दावा कर रहे हैं कि बच्चे जब तक  स्कूल से आते हैं तब तक थक चुके होते हैं.


16 साल के बच्चे की मां राम्बू अता ने एएफपी ने कहा, ‘यह बेहद मुश्किल है, उन्हें तब घर छोड़ना होगा जब काफी घोर अंधेरा होता है. मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकती... अंधेरा और सन्नाटा होने पर उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं है.


इंडोनेशिया में, स्कूल आमतौर पर सुबह 7 से 8 बजे के बीच शुरू होते हैं. विशेषज्ञ, हालांकि, इसके बाद के घंटों में स्कूल शुरू करने की सलाह देते हैं.


क्या कहते हैं अध्ययन?
2014 में अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में सिफारिश की गई थी कि मिडिल और हाई स्कूल के स्टूडेंट्स के लिए स्कूल सुबह 8:30 बजे या बाद में शुरू होना चाहिए. इस  अध्ययन के अनुसार, ऐसा करने से बच्चों को सोने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा.


नुसा सेंडाना विश्वविद्यालय के शिक्षा विशेषज्ञ मार्सेल रोबोट इससे सहमत हैं. एएफपी से बात करते हुए, रोबोट ने कहा कि 5:30 बजे क्लास स्कीम का ‘शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के प्रयास से कोई संबंध नहीं है.‘ उन्होंने कहा कि इससे नींद की कमी हो सकती है, जो उनके स्वास्थ्य और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है.


रोबोट ने कहा,  ‘वे केवल कुछ घंटों के लिए सोएंगे और यह उनके स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है. इससे उन्हें तनाव भी होगा.’


आलोचना के बावजूद स्कीम जारी
हालांकि आलोचना के बावजूद, अधिकारियों ने यह प्रयोग जारी रखा है. इसे वास्तव में स्थानीय शिक्षा एजेंसी तक बढ़ा दिया गया है, जिसके कारण एजेंसी के सिविल सेवक भी अब अपना दिन सुबह 5:30 बजे शुरू करते हैं.


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