Israel-Hamas War: इजराइल-हमास युद्ध में अब आगे क्या होगा, क्या मोड़ लेगी दुनिया की राजनीति?
Israel-Palestine Conflict: इजराइल-हमास के बीच भीषण लड़ाई जारी है जिसमें 1000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. यह संकट ऐसे समय में आया है जब दुनिया पहले ही रूस और यूक्रेन युद्ध का सामना कर रही है.
Global Diplomacy: हमास द्वारा शनिवार तड़के इजराइल पर करीब 5000 हजार रॉकेट दागे गए साथ ही उसके लड़ाके बड़ी इजराइल की सीमा में भी घुस आए. इसे हमास का अब तक का सबसे बड़ा हमला समझा जा रहा है. इजराइल ने भी पलटवार किया है और दोनों के बीच भीषण लड़ाई जारी है जिसमें 1000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. यह संकट ऐसे समय में आया है जब दुनिया पहले ही रूस और यूक्रेन युद्ध का सामना कर रही है. ऐसे में सवाल यह है कि लिया संघर्ष का दुनिया के डिप्लोमेटिक पैटर्न और वर्ल्ड ऑर्डर पर क्या असर डाल सकता है. जानते हैं इस सवाल का जवाब :-
आने वाले समय में इन दो देशों का यूएन में रुख
विश्व राजनीति की आने वाली घटनाओं में चीन और रूस का रुख खासा असर डाल सकता है. हाल ही में होने वाली संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की बैठक में चीन और रूस इजराइल समर्थक किसी प्रस्ताव को पास होने देंगे इसकी संभावना बेहद कम है. इसकी जगह इस बात की उम्मीद कहीं अधिक है कि वे इजराइल की आलोचना करने वाला एक प्रस्ताव लेकर आए.
देशों की प्रतिक्रियाएं
आने वाले वक्त में क्या-क्या हो सकता है इसे इस पूरे विवाद पर विभिन्न देशों की प्रतिक्रियाओं से भी समझा जा सकता है. गल्फ देशों में सऊदी अरब, कतर, यूएई
को इजराइल के प्रति नरम रुख रखने वाला माना जाता है लेकिन मौजूदा घटनाक्रम पर उनकी प्रतिक्रियाएं इजराइल को लेकर खासी आलोचना भरी रही हैं. इन देशों वहीं तुर्की की प्रतिक्रिया इजराइल के प्रति नरम रही है और उसने दोनों पक्षों के बीच बातचीत कराने की भी पेशकश की है. वहीं फिलिस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास हमासा को पूरा समर्थन दिया है.
हमास को नया सपोर्ट
जिस तरह से हमास इस बार इजराइल की सुरक्षा व्यवस्था को भेदने में कामयाब रहा है उससे लगता है कि उसके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ा समर्थन मिला है. उसे नया मिसाइल लॉन्चर कहां से मिला. इस पर भी कई सवाल उठ रहे हैं.
यूक्रेन युद्ध के बाद विश्व का कूटनीतिक परिदृश्य
यूक्रेन युद्ध के बहाने रूस और चीन ने अपनी पश्चिम विरोधी रणनीति को बहुत धार दी है. इस बात की संभावना बन सकती है कि रूस और चीन हमास का समर्थन करें साथ ही अरब, फिलिस्तानी समर्थक रुख अपनाएं.