G8 History: जी7 शिखर सम्मेलन का आयोजन इटली के अपुलिया क्षेत्र में लग्जरी रिजॉर्ट बोरगो एग्नाजिया में 13 से 15 जून तक हो रहा है. G7 (ग्रुप ऑफ सेवन) दुनिया की सात सबसे बड़ी तथाकथित ‘उन्नत’ अर्थव्यवस्थाओं का एक संगठन है, जो वैश्विक व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली पर हावी है. इसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं. हालांकि, यूरोपीय संघ जी7 का सदस्य नहीं है, लेकिन वह वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेता है.


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लेकिन क्या आप जानते हैं एक दौर ऐसा भी आया था जब जी7, जी8 के रूप में जाना जाता था. फिर ऐसा क्या हुआ कि यह संगठन दोबारा ग्रप ऑफ सेवन के रूप में आ गया.


जी7 ऐसे बना था जी8
रूस 1998 में इस ग्रुप में शामिल हुआ, जिससे यह बन गया G8 यानी ग्रुप ऑफ ऐट. हालांकि जी8 सिर्फ 2014 तक ही सक्रिय रह सका.


2014 में क्रेमलिन ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया जिसके बाद रूस को ग्रुप से बाहर कर दिया गया.


24 मार्च 2014 को, G7 सदस्यों ने उस वर्ष जून में रूसी शहर सोची में आयोजित होने वाले G8 शिखर सम्मेलन को रद्द कर दिया और रूस की सदस्यता को निलंबित कर दिया. हालांकि बाकी सदस्य रूस के स्थायी निष्कासन से दूर रहे.


रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लिए गए फैसले को कम महत्व का आंका और कहा कि प्रमुख अंतरराष्ट्रीय निर्णय G20 देशों द्वारा लिए गए.


ग्रुप में वापसी की उम्मीदें
इसके बाद कई बार रूस की ग्रुप में वापसी की उम्मीद बनती दिखी. 2016 में, जर्मनी ने कहा कि 'रूस के बिना किसी भी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संघर्ष को हल नहीं किया जा सकता है और जी 7 देश 2017 में ग्रुप में रूस की वापसी पर विचार करेंगे.'


उसी वर्ष, जापानी के तत्कालीन पीएम शिंजो आबे ने रूस की जी 8 में वापसी की अपील की जिसमें कहा गया कि रूस की भागीदारी 'मध्य पूर्व में कई संकटों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण है.'


जनवरी 2017 में, इतालवी विदेश मंत्री एंजेलिनो अल्फानो ने कहा कि इटली को 'रूस के साथ जी 8 प्रारूप को फिर से शुरू करने और शीत युद्ध के माहौल को समाप्त करने' की उम्मीद है.


रूस ने 2017 में ग्रुप छोड़ने की घोषणा
हालांकि जी-8 का दोबारा गठन नहीं हो पाया और 13 जनवरी 2017 को, रूस ने घोषणा की कि वह जी 8 समूह को स्थायी रूप से छोड़ देगा.


इटली शिखर सम्मेलन में रूस युक्रेन युद्ध बड़ा मुद्दा
इटली में 13 से 15 जून के बीच होने जा रहे जी7शिखर सम्मेलन में गाजा युद्ध के साथ ही रूस यूक्रेन युद्ध भी एक बड़ा मुद्दा है.


व्हाइट हाउस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक राष्ट्रपति जो बाइडन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की गुरुवार को जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान जब मिलेंगे तो अमेरिका और यूक्रेन के बीच द्विपक्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने पत्रकारों से कहा कि इस समझौते का उद्देश्य रूस को यह संकेत देना है कि अमेरिका यूक्रेन का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है.  


G7 देशों ने रूस पर पहले ही यूक्रेन युद्ध को लेकर प्रतिबंधों का बड़ा पैकेज लगा दिया है. G7 देशों ने रूस को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य और वैश्विक वित्तीय प्रणाली से काट दिया है. उन्होंने मॉस्को की लगभग 300 बिलियन डॉलर (£236 बिलियन) की संपत्ति भी फ्रीज कर दी है, जो उनके क्षेत्रों में रखी गई थी, जैसे कि रूस के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार.


(File photo courtesy: Reuters)