जिनेवा: ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक नए खतरे के प्रति आगाह किया है. WHO का कहना है कि आने वाले कुछ सालों में दुनिया की एक चौथाई आबादी बहरेपन (Hearing Loss) का शिकार हो सकती है. इस संबंध में जारी एक रिपोर्ट में WHO ने कहा है कि संभावित खतरे से निपटने के लिए हमें इलाज और जागरूकता पर ज्यादा निवेश करना होगा और अभी से रणनीति तैयार करनी होगी.  


ये है मुख्य वजह


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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि 2050 तक दुनिया की आबादी का एक बड़ा हिस्सा सुनने की समस्या से ग्रस्त हो सकता है. लिहाजा, अभी से इसे लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है. डब्ल्यूएचओ ने इस विषय में पहली बार कोई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि इन्फेक्शन, बीमारियों, जन्मजात समस्याओं, ध्वनि प्रदूषण और लाइफस्टाइल की खामियों के चलते हालात बिगड़ सकते हैं.


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कई Sector होंगे प्रभावित


हमारी सहयोगी वेबसाइट WION में छपी खबर के अनुसार, रिपोर्ट में कुछ जरूरी उपायों के सुझाव देते हुए कहा गया है कि इस पर प्रति व्यक्ति 1.33 डॉलर सालाना का खर्च आएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वक्त रहते इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए, तो हालात काफी खराब हो जाएंगे. इस संकट से स्वास्थ्य क्षेत्र तो प्रभावित होगा कि साथ ही संचार, शिक्षा और रोजगार क्षेत्र को भी नुकसान उठाना पड़ेगा.


अभी इतने हैं Victims


मौजूदा समय की बात करें, तो पूरी दुनिया में 20 प्रतिशत लोग सुनने की क्षमता में कमी की समस्या से प्रभावित हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले तीन दशकों में ऐसे लोगों की संख्या में 1.5 गुना का इजाफा हो सकता है. 2019 में यह आंकड़ा 1.6 बिलियन था, जिसके 2050 में बढ़कर 2.5 बिलियन होने की आशंका है. WHO के अनुसार, 2.5 बिलियन लोगों में से 700 मिलियन लोग ऐसे हो सकते हैं, जो सुनने की गंभीर समस्या से पीड़ित होंगे और इन लोगों के लिए व्यापक पैमाने पर इलाज की जरूरत होगी. 


इन Countries के हाल खराब 


रिपोर्ट बताती है कि सुनने की क्षमता की यह समस्या डेमोग्राफिक और पॉप्युलेशन ट्रेंड (Demographic and Population Trends) के चलते हो सकती है. इसके अलावा, इलाज तक हर किसी की पहुंच न होने के चलते भी समस्याएं बढ़ रही हैं. खासतौर पर कम आय वाले देशों में – जहां दुनिया की लगभग 80% आबादी रहती है – अधिकांश लोगों को जरूरी सुविधाएं और समय पर मदद नहीं मिल पाती है. जिसकी वजह से स्थिति और भी ज्यादा खराब हो सकती है.


WHO ने सुझाए ये उपाए


डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रस्तावित उपायों में सार्वजानिक स्थानों पर शोर कम करने और ऐसी बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण की बात कही गई है, जो हियरिंग लॉस का कारण बन सकती हैं. साथ ही WHO ने समस्या की पहचान करने के लिए व्यवस्थित स्क्रीनिंग का भी सुझाव दिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबियस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने कहा, ‘एक अनुमान के मुताबिक हियरिंग लॉस से निपटने में हमारी सामूहिक विफलता के कारण हर साल एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है’. उन्होंने आगे कहा कि हमें इस संभावित खतरे को ध्यान में रखते ही अभी से इसके खिलाफ अभियान छेड़ने की जरूरत है.