Bahraich Wolf attack : बहराइच छोड़िए, जब 400 आदमखोर भेड़ियों ने घेर ली थी इंसानी बस्ती, पढ़िए दुनिया के सबसे बड़े सुपर वुल्फ अटैक की कहानी
Bahraich Wolf Attack: बहराइच में भेड़ियों की दहशत (Bahraich Wolf attack) है. भारत में शिकारी भेड़ियों के आतंक का इतिहास सदियों पुराना है. 1878 में अकेले यूपी में 624 लोग आदमखोर भेड़ियों का शिकार बने थे. हालांकि ये कहानी है दुनिया के अबतक के सबसे बड़े वुल्फ अटैक (worlds biggest wolf attack) की जब 400 भेड़ियों ने बस्ती घेर ली थी.
worlds biggest wolf attack: बहराइच में भेड़ियों की दहशत (Bahraich Wof attack) खत्म नहीं हुई है. एक मां की दर्दभरी कहानी सुनकर तो आपका कलेजा फट जाएगा. वो दुखियारी मां रोते हुए बोली- भेड़िया मेरे बगल से बेटा खींच ले गया... 7 साल के बेटे अयांश के साथ आंगन में सो रही थी. रात में भेड़िया कब बच्चे को उठा ले गया, पता भी न चला. जब नींद खुली तो घरवालों के साथ रातभर बेटे को खोजा लेकिन वो नहीं मिला. सुबह गांव वालों ने बताया कि बेटे का शव खेत में था. यूपी के 35 गांवों में भेड़ियों का आतंक भारत में ये कोई पहली बार नहीं है जब कोई शहर वुल्फ टाउन बना हो.
हिंदुस्तान में शिकारी भेड़ियों के आतंक का इतिहास सदियों पुराना है. भारत की बात करें तो साल 1878 में अकेले यूपी में 624 लोग आदमखोर भेड़ियों का शिकार बने थे. आपको बताते चलें कि आज सभी घटनाओं की रियल टाइम ट्रैकिंग होती है. सोशल मीडिया है, जानवरों के शरीर में चिप लग जाती हैं. जंगलों में इंस्टाल कैमरों के अलावा सैटेलाइट की तस्वीरों से बहुत कुछ मदद मिल जाती है. हालांकि आपको जिन आंकड़े के बारे में बताने जा रहे हैं, वो बस उतने ही होंगे, जो सरकारी दस्तावेजों यानी पुलिस, प्रशासन और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट यानी वन्य विभाग के कागजों में दर्ज हुए होंगे. वुल्फ एनकाउंटर का असली आंकड़ा यानी इंसानों की भेड़ियों से मुठभेड़ का टोटल नंबर इससे कहीं अधिक होगा.
1900 में मध्यप्रदेश में 285 लोगों को भेड़ियों ने शिकार बनाया.
1910 से 1915 के बीच 115 बच्चों को भेड़ियों ने मार डाला.
1980–1986 में यूपी में भेड़ियों ने 21 लोगों को शिकार बनाया.
1993-1995- झारखंड के हजारीबाग में भेड़ियों ने 80 बच्चों का शिकार कर लिया.
भेड़ियों का झुंड कैसे आतंक मचा सकता है ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन ये खतरा तब बढ़ जाता है जब एक वुल्फ पैक सुपर पैक बन जाता है. साइबेरिया का याकपुत्स इलाका. यहां कभी एक साथ 400 भेड़ियों ने इंसानी बस्ती को घेर लिया था.
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सुपर वुल्फ पैक
एक साथ इतने भेड़ियों के जत्थे को ही इस शब्द से डिकोड किया जाता है. यानी भेड़ियों के भीड़ बनाकर चलने को सुपर वुल्फ पैक कहा जाता है. इसे सुपर वुल्फ पैक या सुपर पैक भी कहते हैं. हालांकि ऐसा तब होता है जब एक साथ कई भेड़ियों का झुंड मिलता है और एक होकर साथ-साथ आगे बढ़ता है.
जरा सोचिए कि जिस इंसानी बस्ती के चारों तरफ 400 भेड़िये हों और हर एक भेड़िया आदमखोर हो तब उस खौफनाक कहानी का अंत कैसा रहा होगा?
कम लोगों को मालूम होगी कहानी
सुपरपैक वैसे तो कोई आम बात नहीं है. लेकिन जब जंगल में शिकार नहीं बचते. तब भेड़िये एक साथ झुंड में खाने की तलाश में निकलते हैं. और ऐसे में उनके निशाने पर होती हैं. इंसानी बस्तियां. साल 2013 में साइबेरिया का याकुत्स्क इलाका आदमखोर भेड़ियों के निशाने पर आया. भेड़िये रेनडियर और घोड़ों का शिकार करते करते आखिर में रिहायशी इलाकों की तरफ बढ़े थे. इसके बाद उन भेड़ियों ने बच्चों पर हमले करने का सिलसिला शुरू कर दिया था. उस समय एक साइबेरियन टाउन में ऐसे ही एक सुपर पैक (आदमखोर भेड़ियों के झुंड) ने स्कूल से लौट रहे 6 बच्चों पर हमला करके उन सभी को अपना शिकार बना लिया था.
धीरे-धीरे ये सुपरपैक रिहायशी इलाकों के करीब पहुंचता जा रहा था. भेड़ियों को पकड़ने के लिए गांव के बाहर कई ट्रैप लगाए गए. लेकिन चालाक भेड़ियों ने इंसानों की इस चाल को भांप लिया. और एक भी भेड़िया नहीं पकड़ा गया. 400 भेड़ियों की फौज से लड़ने के लिए लोगों ने ही भेड़ियों के खिलाफ जंग छेड़ दी. लेकिन इस बीच एक शिकारी का सामना हआ इस सुपर वुल्फ पैक के ALPHA भेड़िये से. इस शख्स ने अल्फा को निशाना बनाया. अपनी सेना का नेतृत्व कर रहे भेडिये के ढेर होते ही पूरा का पूरा झुंड, वापस अपने इलाके में चला गया था. याकुत्स्क का ये सुपर वुल्फ पैक दुनिया का सबसे बड़ा सुपर पैक था.
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