Ukraine war: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने 2019 में शानदार जीत हासिल की थी. चुनाव के बाद यूक्रेन में काफी निराशा थी क्योंकि यहां फैली महामारी और चुनाव अभियान के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में वह विफल है. विशेषकर भ्रष्टाचार पर नकेल कसने और डोनबास में युद्ध को समाप्त करने जैसे वादे भी शामिल थे. दिसंबर 2021 तक जनमत सर्वेक्षणों से पता चला कि केवल 27% यूक्रेनियन लोगों ने उन पर भरोसा किया और 100 हजार से अधिक रूसी सैनिक यूक्रेन पर आक्रमण करने के लिए तैयार थे तो इस पैमाने के युद्ध के दौरान जेलेंस्की कि अपने देश का नेतृत्व करने की क्षमता के बारे में पश्चिम में व्यापक संदेश था.


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दिसंबर 2022 तक यूक्रेनियन का अपने राष्ट्रपति पर भरोसा 84% तक बढ़ गया था. यूक्रेनियन सैनिकों और नागरिकों ने समान रुप से प्रदर्शित किया कि वह अपने देश की रक्षा करने के इच्छुक और सक्षम दोनों है. ना केवल उन्होंने कीव पर शुरुआती हमले का विरोध किया बल्कि पिछले साल फरवरी से रूस द्वारा कब्जा किए गए 54% क्षेत्र को फिर से हासिल करने में कामयाबी पाई है.


व्यक्तिगत साहस और दृढ़ संकल्प
पूरे युद्ध के दौरान जेलेंस्की के व्यक्तिगत साहस और दृढ़ संकल्प के बदौलत दुनिया भर में उन्होंने प्रशंसा हासिल की है. यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति भी कीव में जेलेंस्की के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए हवाई हमले का जोखिम उठाने को तैयार हो गए थे. सैन्य रणनीति के विशेषज्ञ और पश्चिम नीति निर्माता युद्ध के मैदान में यूक्रेन की सफलताओं से प्रभावित हुए हैं. कोई भी इस युद्ध के आसानी से समाप्त होने की उम्मीद नहीं करता है.


लगातार रूसी हमलों और बार-बार हत्याओं के प्रयास के बीच जेलेंस्की पर मंडराता खतरा इस बात को उजागर करता है कि युद्ध के परिणाम और उनका अपना अस्तित्व दोनों ही निश्चित नहीं. अपनी हालिया पुस्तक 'द जेलेंस्की इफेक्ट' में राजनीतिक वैज्ञानिक और ओल्गा ओनच और हेनरी ईहेल का तर्क है कि राष्ट्रपति सभी यूक्रेनियन की एकता पर जोर देते हैं और एक नागरिक राष्ट्रीय पहचान व्यक्त करते हैं जो उनके साथ ही नागरिकों के भारी समर्थन द्वारा साझा की जाती है.


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