नई दिल्लीः Aaj Ka Panchang: आज रविवार है. रविवार का दिन सूर्य उपासना के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है. इस दिन सूर्य को जल अर्पित करने, मंत्रों का जाप करने और सूर्य को नमस्कार करने से बल, बुद्धि, ज्ञान, वैभव और पराक्रम की प्राप्ति होती है. आचार्य विक्रमादित्य बताते हैं कि रविवार का व्रत किसी भी ग्रह की शांति के लिए बहुत अच्छा माना जाता है.


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शास्त्रों में लिखा है कि सूर्य का व्रत करने से काया निरोगी तो होती ही है, साथ ही अशुभ फल भी शुभ फल में बदल जाते हैं. अगर इस दिन व्रत कथा सुनी जाए तो इससे मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साथ ही मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है.


सुबह जल्द से जल्द सूर्य को चढ़ाना चाहिए जल
सूर्य को जल हमेशा सुबह के समय जल्द से जल्द देना फायदेमंद होता है. सूर्य की रोशनी तेज हो या चुभने लगे तब जल देने से कोई लाभ नहीं होता है. सूर्य को जल देने के बाद ऊं आदित्य नमरू मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए. सूर्य को जल देते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर ही होना चाहिए.


कुंडली में है दोष तो करें सूर्य की पूजा
भविष्य पुराण के अनुसार, रविवार सूर्य देव की उपासना का विशेष दिन है. कुंडली में सूर्य की शुभ-अशुभ स्थिति का अच्छा या बुरा असर हमारी बुद्धि पर भी होता है. सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना गया है, इसकी शुभ स्थिति समाज में मान-सम्मान भी दिलवाती है. अगर आपकी कुंडली में भी कोई दोष है या आप सूर्य से शुभ फल पाना चाहते हैं तो रविवार सूर्य पूजा आपको शुभ फल दिला सकती है. 


रविवार को सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें. इसके लिए तांबे के लोटे में जल भरें. इसमें चावल, फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें. जल चढ़ाने के बाद सूर्य मंत्र स्तुति का पाठ करें. इस पाठ के साथ शक्ति, बुद्धि, स्वास्थ्य और सम्मान की कामना करें.


सूर्य देव को हमेशा नहाने के बाद ही जल चढ़ाना चाहिये. आप उन्हें 8 बजे के अंदर ही जल चढ़ाएं. साथ ही यह कार्य ब्रह्म मुहूर्त में कर लेना चाहिए.


आज का पंचांग
ज्येष्ठ - कृष्ण पक्ष - चतुर्दशी तिथि - रविवार
नक्षत्र -  कृतिका नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग - अतिगण्ड योग 
चन्द्रमा का मेष के उपरांत वृषभ राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 11.57 बजे से 12.50 बजे तक
राहु काल - 05.23 बजे से 07.23 बजे तक


त्योहार - फलाहरिणी कलिका पूजा 


गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
नागकेसर के दो फूल, थोड़ा सा साबूत चावल, एक लौंग, एक सिक्का नारियल की जटा पर रखें. फिर उस पर एक कपूर की टिकिया जलाकर बहते पानी में प्रवाहित करें और एक मनोकामना का स्मरण करें.


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