Ahoi Ashtami 2022: अहोई अष्टमी का व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त और व्रत विधि
Ahoi Ashtami 2022: आज अहोई अष्टमी का व्रत है.इस दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. अहोई अष्टमी व्रत हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रखा जाता है.
नई दिल्ली. अहोई अष्टमी का व्रत करवा चौथ के व्रत तीन दिन बाद ही रखा जाता है. जैसे करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है उसी प्रकार अष्टमी का व्रत संतान की दीर्घायु और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है. इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन व्रत कर विधि विधान से अहोई माता की पूजा करने से मां पार्वती अपने पुत्रों की तरह ही आपके बच्चों की रक्षा करती हैं. साथ ही पुत्र प्राप्ति के लिए भी यह व्रत खास महत्व रखता है.
अहोई अष्टमी का शुभ मुहूर्त
अहोई अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 5 बजकर 50 मिनट पर शुरू होगा. यह मुहूर्त शाम 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगा. इस शुभ मुहूर्त में पूजा करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती हैं.
अहोई अष्टमी व्रत करने की विधि
- जो भी माताएं ये व्रत रख रही हैं ,वो सूर्योदय से पहले स्नान कर लें और व्रत रखने का संकल्प लें.
- अहोई माता की पूजा करने के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं. इसके साथ सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र भी बनाएं.
- शाम को पूजा के समय अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखें.फिर उस पर जल से भरा कलश रख दें.
- अहोई माता की पूजा रोली और चावल से करें. फिर माता को मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं.
- कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. फिर हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें.
- इसके बाद तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलें. फिर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें.
कौन हैं अहोई माता
वास्तव में अहोई का तात्पर्य है कि अनहोनी को भी बदल डालना. उत्तर भारत के विभिन्न अंचलों में अहोई माता का स्वरूप वहां की स्थानीय परंपरा के अनुसार बनता है. सम्पन्न घर की महिलाएं चांदी की अहोई बनवाती हैं. जमीन पर गोबर से लीपकर कलश की स्थापना होती है. अहोई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है. उसी के पास साही तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं. करवा चौथ के ठीक चार दिन बाद अष्टमी तिथि को देवी अहोई माता का व्रत किया जाता है. यह व्रत पुत्र की लंबी आयु और सुखमय जीवन की कामना से पुत्रवती महिलाएं करती हैं. कार्तिक मास की अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में यह व्रत रखा जाता है इसलिए इसे अहोई अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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