भगवान शनि को न्याय का देवता कहा जाता है. वह कर्म के शासक हैं और लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की गति सबसे धीमी होती है. शनि एक राशि में कम से कम ढाई वर्ष तक रहते हैं. जब शनि व्यक्ति की जन्म राशि से 12वें भाव में हो तो इस स्थिति को शनि की साढ़ेसाती कहते हैं. ऐसा होने पर व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्टों का सामना करना पड़ता है.


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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि का पहला चरण ढाई वर्ष का होता है. इस अवस्था में जातक को मानसिक तनाव का समना करना पड़ता है और उसके स्वभाव में बदलाव आता है. दूसरे चरण में उसे वित्तीय और शारीरिक कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं. जबकि तीसरा चरण वाली दो चरणों से कम कष्टदायी होता है.


साढ़े साती के उपाय
शनिदेव अपने कर्म के अनुसार जातक को फल देते हैं. शनिवार के दिन लोहा, काली उड़द की दाल, तिल या काला कपड़ा दान करना चाहिए. हनुमानजी की पूजा करने से शनिदेव शांत रहते हैं. स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और घर या शनि मंदिर में जाकर शनिदेव की पूजा करें.


साढ़े साती के दौरान न करें ये काम
शनि की साढ़ेसाती के दौरान जोखिम उठाने से बचना चाहिए.
इस दौरान किसी से वाद-विवाद न करें.
वाहन चलाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें.
शनिवार और मंगलवार को काले रंग के कपड़े न खरीदे और न ही पहने.
निवार और मंगलवार को शराब के सेवन से बचना चाहिए.
शनि की साढ़े साती के दौरान आपको रात के समय यात्रा नहीं करनी चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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