नई दिल्ली. Chanakya Niti for son आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार ज्यादातर लोगों को सख्त और कठोर लगते हैं, लेकिन उनकी बातें जीवन का वास्तविक सत्य हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस तरह दूध न देने वाली और गर्भ न धारण करने वाली गाय से कोई लाभ नहीं होता उसी प्रकार यदि पुत्र विद्वान है और माता-पिता की सेवा करने वाला न हो तो उससे किसी प्रकार का लाभ नहीं हो सकता.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न गर्भिणी। 
कोऽर्थः: पुत्रेण जातेन यो न विद्वान् भक्तिमान्।।


इस श्लोक में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति ऐसी गाय को पालना पसंद नहीं करेगा, जो न तो दूध देती हो और न ही गर्भ-धारण करने के योग्य हो. इसी प्रकार ऐसे पुत्र से भी कोई लाभ नहीं होता, जो न तो पढ़ा-लिखा हो और न ही माता-पिता की सेवा करता हो.


इन तीन बातों से मिलती है शांति
चाणक्य नीति में कहा गया है कि इस संसार में दुखी लोगों को तीन बातों से ही शांति प्राप्त हो सकती है. इसमें पहला है अच्छी संतान. दूसरा हा पतिव्रता स्त्री और तीसरा सज्जनों का संग. व्यापार में लगे हुए व्यक्तियों के लिए घर में आने पर शांति मिलनी चाहिए. ऐसा तभी हो सकता है जब पुत्र गुणी हों, स्त्री पतिव्रता हो और उसके मित्र सज्जन हों.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


यह भी पढ़िए- Chanakya Niti: बिना अग्नि के ही शरीर को जला देती हैं ये 6 चीजें, व्यक्ति जीवनभर रहता है दुखी


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.