हर दिन घर में पूजा के समय इन नियमों का रखें ध्यान, तभी होगा धन एवं सुख लाभ
अधिकतर लोग हर दिन सुबह अपने घर पर ही भगवान की पूजा करते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि या तो जातक को पूजा के नियमों का बोध नहीं होता है अथवा उसे गलत नियमों की जानकारी होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दैनिक पूजन में आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए.
नई दिल्ली: अधिकतर लोग हर दिन सुबह अपने घर पर ही भगवान की पूजा करते हैं. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि या तो जातक को पूजा के नियमों का बोध नहीं होता है अथवा उसे गलत नियमों की जानकारी होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दैनिक पूजन में आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन नियमों का पालन करना चाहिए.
पूजा के नियम कुछ इस प्रकार हैं. होनी चाहिए. इससे धन,लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है.
दक्षिणावर्त शंख जिस घर में होता है, उसमे साक्षात लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है. वहां मंगल ही मंगल होते हैं पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिए.
कपूर का एक छोटा सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिए, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध होरू वातावरण में धनात्मक ऊर्जा बढ़े.
गणेश जी और भैरवजी को तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए.
दुर्गा जी को दूर्वा नहीं चढ़ानी चाहिए.
सूर्य देव और शिव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए.
तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोडना चाहिए. जो लोग बिना स्नान किये तोड़ते हैं,उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं.
रविवार, एकादशी, द्वादशी , संक्रान्ति तथा संध्या काल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए.
केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए.
कमल का फूल पांच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं.
बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं
तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं.
हाथों में रखकर हाथों से फूल नहीं चढ़ाना चाहिए.
तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए.
दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए जो दीपक से दीपक जलते हैं वो रोगी होते हैं.
पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए.
प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए. दक्षिणा में अपने दोष,दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी.
चर्मपत्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए.
स्त्रियों को शंख नहीं बजाना चाहिए यदि वे बजाते हैं तो लक्ष्मी वहां से चली जाती है.
पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके करनी चाहिए, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें
पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर बैठकर ही करनी चाहिए, पूजा गृह में सुबह एवं शाम को दीपक,एक घी का और एक तेल का रखें.
घर में पूजा पाठ व मांगलिक पर्व में सिर पर टोपी व पगड़ी पहननी चाहिए, रुमाल विशेष कर सफेद रुमाल शुभ नहीं माना जाता है.
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