मार्गशीर्ष मास की इन तिथियों में शुभ कार्य करना माना जाता है अशुभ, बिल्कुल न करें इन चीजों का सेवन
मार्गशीर्ष का महीना बीते 9 नवंबर, 2022 से आरंभ हो चुका है. यह महीना 8 दिसंबर तक रहेगा. मार्गशीर्ष मास को अगहन का महीना भी कहते हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि इन बारह मास में मार्गशीर्ष मास मैं ही हूं.
नई दिल्ली: मार्गशीर्ष का महीना बीते 9 नवंबर 2022 से आरंभ हो चुका है. यह महीना 8 दिसंबर तक रहेगा. मार्गशीर्ष मास को अगहन का महीना भी कहते हैं. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि इन बारह मास में मार्गशीर्ष मास मैं ही हूं. इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करना जीवन में खूब सुख-समृद्धि दिलाता है. इसके अलावा जीवन के सारे संकट और पाप नष्ट होते हैं.
चन्द्र माहों की श्रेणी में मार्गशीर्ष माह नवें स्थान पर आता है. इस माह में भगवान विष्णु एवं उनके शंख की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस माह के दौरान पूजा-पाठ और स्नान-दान का भी उल्लेख मिलता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा और संक्रांति के दौरान किया गया दान व्यक्ति को जीवन में सुख प्रदान करने वाला होता है. व्यक्ति के पुण्य कर्मों में वृद्धि होती है और पापों का नाश होता है.
मार्गशीर्ष मास में इन तीन के पाठ की बहुत ज्यादा महिमा है: विष्णुसहस्त्र नाम, भगवद गीता और गजेन्द्रमोक्ष.
इस मास में 'श्रीमद भागवत' ग्रन्थ को देखने की भी महिमा है. शास्त्रों में लिखा है, जिस घर में भागवत हो तो उस घर को भी प्रणाम करना चाहिये.
मार्गशीर्ष माह में सनातन संस्कृति के दो प्रमुख विवाह संपन्न हुए थे. शिव विवाह तथा राम विवाह. मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को राम विवाह तो सर्वविदित है ही साथ ही शिवपुराण, रुद्रसंहिता, पार्वतीखण्ड के अनुसार सप्तर्षियों के समझाने से हिमवान ने शिव के साथ अपनी पुत्री का विवाह मार्गशीर्ष माह में निश्चित किया था .
इस मास में अपने गुरु को, इष्ट को "ॐ दामोदराय नमः" कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है.
इस महीने पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है.
इस माह की महत्ता का विषय में कहा गया है कि मार्गशीर्ष मास की प्रथम तिथि को ही सतयुग का आरंभ हुआ और इसी माह समय पर महर्षि कश्यप जी ने कश्मीर प्रदेश की रचना की थी.
मार्गशीर्ष माह नाम कैसे पड़ा
इस माह का संबंध मृगशिरा नक्षत्र से होने के कारण इसे मार्गशीर्ष नाम मिला.. साथ ही साथ इस माह की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में होती है. अत ऎसे में इन सभी का संयोग ही इस माह को मार्गशीर्ष माह का नाम देता है.
मार्गशीर्ष माह में जन्म लेने वाला व्यक्ति
मार्गशीर्ष माह में जिस व्यक्ति का जन्म हो, उस व्यक्ति की वाणी मधुर होती है. वह धनी होता है और उसकी धर्म-कर्म में आस्था होती है. ऎसा व्यक्ति अनेक मित्रों से युक्त होता है. साथ ही पराक्रम भाव से वह अपने सभी कार्याे को पूरा करने में सफल होता है. परोपकार के कार्याे में वह स्वतः रुचि लेता है. इस माह में जन्मा जातक अपनी व्यवहार कुशलता से लोगों को प्रभावित कर सकता है. बाहरी संपर्क से भी जातक को लाभ मिलता है. घरेलू जीवन में संघर्ष रहता है.
मार्गशीर्ष मास की इन तिथियों में शुभ कार्य करना माना जाता है अशुभ
मार्गशीर्ष महीने की कुछ विशेष तिथियों को लेकर नियम बताए गए हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए.
आइए जानते हैं अगहन मास में कुछ विशेष तिथियां हैं जिसमें कुछ कार्य करने के मनाही है.
मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली सप्तमी और अष्टमी तिथि को मास शून्य तिथियां कहा गया है. इस दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए.
यदि उपरोक्त दो तिथियों पर कोई भी शुभ कार्य किया जाता है तो इससे धन और वंश दोनों की हानि हो सकती है.
इसके अलावा सप्तमी और अष्टमी तिथि पर कोई मांगलिक कार्य किया जाता है तो सम्मान समाप्त हो जाता है और व्यक्ति के जीवन में निर्धनता आ जाती है.
मार्गशीर्ष के महीने में जीरे का सेवन वर्जित माना जाता है. इस महीने तामसिक भोजन या मांसाहार भोजन से दूर रहें.
यह भी पढ़ें: Dream Science: सपने में महिला को रोते हुए देखने का क्या है संकेत, जल्द मिल सकती है कोई बुरी खबर
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.