नई दिल्लीः उत्तराखंड के हरिद्वार में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा हुआ है. मां गंगा के पावन तट पर हरिद्वार महाकुंभ (Haridwar Mahakumbh 2021) की अद्भुत छटा बिखरी हुई है.


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आने वाली 12 अप्रैल को यहां शाही स्नान होने वाला है जो कि क्रम के अनुसार दूसरा शाही स्नान होगा. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण कुंभ स्थल पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गईं हैं. इसके साथ ही लोगों में बाहर निकलने को लेकर भी डर है.


कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच कुंभ स्नान की इच्छा है और वह नहीं पूरी हो पा रही है तो शास्त्र में इसके लिए भी व्यवस्था की गई है.



पुराणों और शास्त्रों में गंगा नदी की स्तुति और आह्नान के लिए कुछ ऐसे मंत्र हैं, जिनके उच्चारण और वाचन से हर क्षेत्र गंगा तीर्थ हो जाता है और हर जल गंगा जल बन जाता है.


गंगा माता ने खुद यह वचन दिया है कि जब भी किसी शुभ कार्य के लिए उनका आह्नवान किया जाएगा वह पाणिमात्र के कल्याण के लिए जरूर आ जाएंगीं.


ऐसे में शाही स्नान की विशेष तिथि में गंगा स्नान के दिव्य लाभ से आपको वंचित नहीं होना पड़ेगा, केवल इन मंत्रों का उच्चारण कीजिए और घर में ही गंगा स्नान का लाभ लिया जा सकता है. 


गंगा आह्वान मंत्र
गंगा नदी तो पवित्र हैं हीं, उनकी सहायक नदी यमुना और सरस्वती की भी बड़ी महिमा है. इसके अलावा गोदावरी, कावेरी, सिंधु और नर्मदा भी अपने-अपने स्थान पर गंगा का ही अवतार कहलाती हैं.


गंगा की ही भांति इन सभी की उत्पत्ति अलग-अलग काल में ब्रह्मदेव के कमंडल से ही हुई है और इन्हें सप्त धारा कहा जाता है.



इन सभी नदियों के ध्यान का मंत्र बहुत प्रभावी है जो स्नान के जल को गंगा जल बना देता है. इसलिए स्नान से पहले इस मंत्र का उच्चारण करें. इस मंत्र से आपके अपने खुद के घर का आंगन कुंभ स्थल की ही तरह तीर्थ क्षेत्र बन जाएगा. 


गंगा मां से कीजिए प्रार्थना
इसी तरह गंगा स्त्रोत से लिया गया गांगेय श्लोक भी बहुत पवित्र है. इस श्लोक मंत्र में मां गंगा कि पवित्रता का बखान किया गया है और उनसे अपने पापों से मुक्ति मांगने की प्रार्थना की गई है.


श्लोक में कहा गया है कि गंगा जल मनोहारी है जो कि मुरारि यानी कि श्रीविष्णु के चरणों से निकला है, त्रिपुरारी यानी महादेव शिव द्वारा शीष पर धारण किया गया है.



जो पापों को हरने वाली है. ऐसी मां गांगा मेरे भी पापों को हर लें. इस मंत्र को पढ़कर स्नान करने से मां गंगा आपको शीतल करने के लिए आपके पास स्थित जल स्त्रोत में शामिल हो जाएंगीं.


गंगा से दूर मनुष्य भी कर सकता है स्नान
गंगा नदी की महिमा का वर्णन करते हुए एक श्लोक में कहा गया है कि जो मनुष्य सौ योजन दूर से भी गंगाजी का स्मरण करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं और वह अंत में विष्णु लोक को जाता है.


इस श्लोक के जरिए यह बताया गया है कि मां गंगा इतनी दयालु हैं जो अपने पुत्र और भक्तों के एक बुलावे पर खुद उनके पास चली जाती हैं.



अगर वह गंगा तट पर आने में सक्षम न हो तो मां गंगा उसके पास जाती हैं और उसे पापमुक्त और शीतलता प्रदान करती हैं. यह श्लोक मंत्र स्नान करते समय जरूर पढ़िए. 


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गंगा नदी हैं मुक्ति का मार्ग
गंगा नदी का दर्शन मात्र ही मुक्ति का मार्ग है. स्नान कर लेना तो सारे कर्म के बंधन काट लेना है. वहीं मां गंगा का स्मरण कई पुण्यों का भागी बनाता है.



स्नान करते समय मां गंगा का एक सबसे छोटा सा और महत्वपूर्ण मंत्र का अगर वाचन किया जाए तो आपके जल पात्र का जल ही गंगाजल बन जाता है और इसका स्नान कुंभ स्नान जैसा ही फल देता है. बस मन शुद्ध होना चाहिए और भाव में भक्ति होनी चाहिए. 


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