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नई दिल्ली. वैदिक ज्योतिष में गुरु बृहस्पति के राशि परिवर्तन और मार्गी होना का विशेष महत्व बताया गया है. क्योंकि गुरु ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि के कारक माने गए हैं. गुरु के शुभ प्रभाव से शिक्षा, रोजगार कला, संस्कृति, बैंकिंग और अध्यात्म के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अच्छा समय रहेगा.


कुंडली के चौथे भाव का बृहस्पति कर देता है मालामाल
गुरु कालपुरुष कुंडली के चौथे भाव यानि कर्क राशि में उच्च का माना जाता है.अगर आपको कुंडली के चौथे भाव में गुरु लिखा है तो समझ जाइए आपके लिए गुरु बहुत अच्छा परिणाम देने वाले हैं. वहीं कुंडली में नवम और बारहवें भाव यानि धनु और मीन राशि में ये अपनी उच्च शिक्षा के लिए उत्तम माने जाते हैं.


इस भाव में होने पर भी ये अच्छा फल देते हैं. तो वहीं आपकी कुंडली में ये दसवें भाव यानी मकर राशि में हैं तो आप सतर्क रहें. जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति बलवान होते हैं उन्हें कई तरह लाभ प्राप्त होते हैं.जीवन में धन, संपदा, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और उच्च पद की प्राप्ति होती है. बृहस्पति ग्रह किसी एक राशि में गोचर करने के लिए लगभग 1 वर्ष का समय लेते हैं.


धनु और मीन राशि के स्वामी हैं बृहस्पति
गुरु ग्रह को दो राशियों का आधिपत्य प्राप्त है धनु और मीन. गुरु ग्रह जब कर्क राशि में आते तब वे उच्च के होते हैं यानि वे कर्क राशि में अच्छा फल प्रदान करते हैं. जबकि मकर में नीच के होते हैं.


बृहस्पति को क्या अशुभ बनाता है?
किसी कुंडली के दसवें भाव में शुक्र या बुध के आने पर बृहस्पति अशुभ फल देता है. हालांकि, बृहस्पति किसी भी घर में अकेला होने पर कभी भी खराब परिणाम नहीं देता है. एक अशुभ बृहस्पति केतु (पुत्र) को बहुत प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है. यदि किसी कुंडली में बृहस्पति शनि, राहु या केतु के साथ स्थित हो तो अशुभ फल देता है.


गुरु कमजोर होने से जीवन में आने लगती हैं ये परेशानियां
जन्मकुंडली में पीड़ित बृहस्पति जातकों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. इसके कारण जातक को विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यदि कोई व्यक्ति शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा है तो उसे इस क्षेत्र में परेशानियाँ आएंगी. पीड़ित गुरु के कारण व्यक्ति की वृद्धि थम जाती है और उसके मूल्यों का ह्लास होता है. पीड़ित गुरु व्यक्ति को शारीरिक कष्ट भी देता है. साथ ही ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह अगर अशुभ हो तो व्यक्ति को पेट से सबंधित रोग, अपच, पेट दर्द, एसिडिटी, कमजोर पाचन तंत्र, कैंसर जैसी बीमारी होने का ख़तरा रहता है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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