नई दिल्लीः Guru Pushya Yoga Upay गुरु पुष्य योग में कई शुभ कार्यों को करना लाभकारी होता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिह्न माना जाता है. वेदों में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है. इसके अलावा यह समृद्धिदायक, शुभ फल प्रदान करने वाला नक्षत्र माना गया है.


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पुष्य नक्षत्र का शाब्दिक अर्थ है पोषण करना या पोषण करने वाला. इसे तिष्य नक्षत्र के नाम से भी जानते हैं. तिष्य शब्द का अर्थ है शुभ होना. इस दिन खरीदी गई वस्तुएं लंबे समय तक उपयोग में रहती हैं. इस दिन पूजा या उपवास करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है.


मां लक्ष्मी के सामने जलाएं दीपक
सर्वप्रथम अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं. किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें. इस दिन दाल, खिचड़ी, चावल, बेसन, कड़ी, बूंदी की लड्डू आदि का सेवन करने और यथाशक्ति दान करने की परंपरा है. इस दिन कुंडली में विद्यमान दूषित ग्रहों के दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है. इसके लिए अलग-अलग ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करें.


धन प्राप्ति के लिए करें ये उपाय
कुछ ज्योतिष पुष्य शब्द को पुष्प शब्द से निकला हुआ मानते हैं. पुष्प शब्द अपने आप में सौंदर्य, शुभता तथा प्रसन्नता से जुड़ा है. इस दिन धन का निवेश लंबी अवधि के लिए करने पर भविष्य में उसका अच्छा फल प्राप्त होता है. इस दिन रोटी पर घी चुपड़कर उसके साथ गुड़ मिलाकर गाय को खिलाने से धन लाभ प्राप्त होता है.


इस शुभदायी दिन पर महालक्ष्मी की साधना करने, पीपल या शमी के पेड़ की पूजा करने से उसका विशेष व मनोवांछित फल प्राप्त होता है. इस दिन पीपल, शमी और आंकड़े के पेड़ या दूध वाले पेड़ की पूजा कर सकते हैं. इससे हर एक क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है. लक्ष्मी माता के समक्ष घी का दीपक जलाकर उन्हें कमल पुष्प अर्पित करके इस दिन श्रीसूक्त का पाठ करने से माता लक्ष्मी बहुत ही जल्द प्रसन्न होती है.


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पुष्य नक्षत्र में सावधानी
बुधवार और शुक्रवार के दिन पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र उत्पातकारी भी माने गए हैं. इसलिए इस दिन कोई भी शुभ या मंगल कार्य ना करें और ना ही कोई वस्तु या वाहन खरीदें. इस नक्षत्र का स्वामी शनि ग्रह है इसलिए इस नक्षत्र के दौरान शनि के मंदे कार्य नहीं करना चाहिए. जैसे, शराब पीना, ब्याज पर रुपया देना, झूठ बोलना, स्त्री का अपमान करना.


विद्वानों का मानना है कि इस दिन विवाह नहीं करना चाहिए, क्योंकि पुष्य नक्षत्र को ब्रह्माजी का श्राप मिला हुआ है, इसलिए यह नक्षत्र विवाह हेतु वर्जित माना गया है. पुष्य नक्षत्र को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है इसलिए इस नक्षत्र में किसी भी प्रकार के तामसिक या अपवित्र कार्य न करें.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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