Ahoi Ashtami Vrat: सभी जगह दिपावली की तैयारी घरों सहित बाजारों में शुरू हो चुकी है. 24 अक्टूबर को गुरु पुष्य योग रहेगा, जिनमें प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, गाड़ियों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक खरीदना शुभ होगा. इस दिन अहोई अष्टमी व्रत भी रखा जायेगा.


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पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक  ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली पर्व के अवसर पर नया सामान खरीदने की परम्परा शुरू से ही रही है. 24 अक्टूबर को गुरु पुष्य योग है. इसमें खरीदारी करना अत्यंत शुभ माना जाता है. गाड़ी, स्वर्ण, चांदी, वस्त्रत्त्, बर्तन की खरीदारी शुभ रहेगा.


अहोई अष्टमी इस साल 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. अहोई अष्टमी का व्रत माताएं कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि को रखती हैं. अहोई अष्टमी पर साध्य योग, पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं.


क्या खरीदना शुभ होगा?
वहीं, गुरु पुष्य योग को आभूषण, गाड़ी, भूमि, भवन, गृह सामग्री फ्रिज, टीवी आदि खरीदना शुभ साबित होगी. अपने पसंदीदा सामान की इस दौरान खरीदारी कर घरों में खुशियां ला सकते हैं. शनि को काल पुरुष की ऊर्जा और पुरुषार्थ की प्रेरणा का कारक माना जाता है. बृहस्पति को आध्यात्म, शिक्षा, ज्ञान और त्याग का कारक बताया गया है. पुष्य नक्षत्र के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी है. ऐसे में हर प्रकार के कार्य सिद्ध माने गए हैं. इसलिए सुख-सुविधा को देखते हुए खरीदी करने की मान्यता है.


ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 24 अक्टूबर को खरीदी का महामुहूर्त 'पुष्य नक्षत्र' रहेगा. गुरुवार होने से यह 'गुरु पुष्य' नक्षत्र कहलाएगा. इस दिन खरीदारी स्थायी और सुख-समृद्धि देने वाली मानी जाती है. धन की देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. गुरु पुष्य नक्षत्र को 27 नक्षत्रों के समूह में राजा कहा जाता है. ज्योतिष गणना में पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि और उप स्वामी बृहस्पति है.


अहोई अष्टमी व्रत रखने से मिलेगा ये फल
अहोई अष्टमी व्रत का महत्व बहुत ही खास माना गया है. इस व्रत को करने से आपकी संतान खुशहाल होने के साथ ही दीर्घायु भी होती हैं. हर प्रकार के रोगों से उनकी रक्षा होता है और स्यामऊं माता बच्चोंत का भाग्य बनाती हैं और उनको हर बुरी नजर से बचाती हैं. इस व्रत को करने से आपके घर में सुख समृद्धि बढ़ती हैं और आपके घर में बच्चेो करियर में खूब तरक्कीत करते हैं. यह व्रत सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक रखा जाता है और बिना अन्न जल ग्रहण तारों को जल अर्पित करने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है.


अहोई अष्टमी
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अहोई अष्टमी इस साल 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी. अहोई अष्टमी का व्रत माताएं कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि को रखती हैं और इस साल यह तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 1:18 मिनट पर शुरू होगी और 25 अक्टूबर को सुबह 1:58 मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा.


5 शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि  इस साल की अहोई अष्टमी पर 5 शुभ संयोग बन रहे हैं. अहोई अष्टमी पर साध्य योग, पुष्य नक्षत्र, गुरु पुष्य योग, अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे हैं. इन 5 शुभ संयोगों के कारण अहोई अष्टमी का दिन और भी अधिक शुभ फलदायी और महत्वपूर्ण है.


1. साध्य योग: प्रात:काल से लेकर अगले दिन सुबह 05:23 बजे तक
2. गुरु पुष्य योग: पूरे दिन
3. सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
4. अमृत सिद्धि योग: पूरे दिन
5. पुष्य नक्षत्र: पूर्ण रात्रि तक


गुरु पुष्य योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को अतिशुभ माना जाता है. दीपावली से 7 दिन पहले 24 अक्तूबर को गुरुवार के दिन यह नक्षत्र रहेगा. जब भी गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है तो इसे गुरु पुष्य की संज्ञा दी जाती है. इस दिन सोना-चांदी और अचल संपत्ति खरीदने से बहुत लाभ मिलता है. माना जाता है कि, इस नक्षत्र में आप जो भी चीज खरीदते हैं वो बरकत देती है. उससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है और पारिवारिक जीवन सुखमय बना रहता है.


पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर सुबह 11:38 बजे से 25 अक्टूबर दोपहर 12:35 बजे तक पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा. पुष्य नक्षत्र शनि प्रधान है, लेकिन इसकी प्रकृति गुरु जैसी होती है. इस दिन स्वर्ण आभूषण, हीरा, देव प्रतिमा, भूमि-भवन, वाहन, फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन खरीदना चाहिए। इसलिए आप गुरुवार 24 अक्टूबर को सुबह 11:45 से खरीदारी शुरू कर सकते हैं और अगले दिन भी दोपहर तक खरीदारी करना शुभ माना जाएगा. हालांकि अगर आप जमीन या किसी भी तरह की अचल संपत्ति खरीदना चाहते हैं तो, उसके लिए गुरुवार का दिन ही ज्यादा शुभ माना जाएगा.


हर प्रकार की खरीदी शुभ
डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरु पुष्य नक्षत्र में सोने, चांदी के आभूषण, चांदी की प्रतिमा, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रिकल्स, जमीन, प्लॉट, मकान, फैक्ट्री आदि में निवेश किया जा सकता है. यह समृद्धि देने वाला होगा. पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि होने से स्थायी संपत्ति की खरीदी यानी भूमि, भवन, व्यावसायिक प्रतिष्ठान विशेष फलदायी माने जाते हैं.


पुष्य नक्षत्र में ये खरीदें, मिलेगा स्थायी लाभ
1. अचल संपत्ति - मकान, प्लॉट, फ्लैट, कृषि भूमि और व्यावसायिक संपत्ति.
2. चल संपत्ति - आभूषणों में सोना, चांदी, हीरा, प्लेटिनम के आभूषण.
3. ऑटोमोबाइल (चार पहिया वाहन, दोपहिया वाहन), इलेक्ट्रिक दोपहिया-चार पहिया वाहन.
4. इलेक्ट्रॉनिक सामान में फ्रिज, टीवी, वॉशिंग मशीन, लैपटॉप, माइक्रोवेव ओवन आदि.


लक्ष्मी-नारायण की पूजा से समृद्धि
व्यास ने बताया कि गुरु पुष्य योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व माना गया है. इस दिन माता लक्ष्मी को खीर, दूध से बनी मिठाई और भगवान विष्णु को तुलसी दल, पंचामृत, गुड़ आदि का भोग लगाने का विधान है. कनकधारा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. लक्ष्मी-नारायण की कृपा से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है.


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