नई दिल्ली: Hariyali Teej 2022 Date: सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का महत्व बहुत विशेष माना जाता है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज हर साल सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. इस दिन महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनकर मां पर्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं. इस व्रत में भी करवा चौथ की तरह सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार हरियाली तीज करने से वैवाहिक जीवन सुखी बना रहता है. इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानते हैं हरियाली तीज 2022 की तिथी, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इतिहास.  


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हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त


साल 2022 में हरियाली तीज 31 जुलाई को है. इस साल हरियाली तीज पर रवि योग बन रहा है. हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त 31 जुलाई को शाम को 6 बजकर 30 मिनट पर शुरु होगा और इसका समापन 8 बजकर 33 मिनट तक है. 


हरियाली तीज पूजा विधि 


हरियाली तीज के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें. 
इस दिन नए कपड़े, खासकर हरे रंग के वस्त्र पहनने का विशेष योग होता है. 
इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती की मूर्ति बनाएं. 
भगवान की मूर्ति को लाल रंग के आसन पर बिठाएं
पूजा की थाली तैयार करें. 
पूजा की थाली में सुहाग की सभी चीजें रखना न भूलें 
अब तीज की कथा पढ़ें फिर आरती करें. 


हरियाली तीज मंत्र 


हरियाली तीज के महिलाएं झूला झुलती हैं और सावन के गीत भी गाती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें हरियाली तीज के दिन पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. तीज व्रत के दिन इन मंत्रों का जाप करने से सौभाग्य मिलता है. 
 "ॐ उमाय नमः"
"ॐ पार्वतीपतये नमः"
"ॐ जगतप्रतिष्ठाय नमः"
"ॐ जगदात्त्री नमः"
 "ॐ शिवाय नमः"
 "ॐ शांतिरुपाय नमः"


हरियाली तीज का इतिहास 


पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती की सैकड़ों की साल की साधना के बाद इस दिन भगवान शिव से मिली थी. कहा जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन उन्हें शिवजी नहीं मिले. मां पार्वती ने जब 108वीं बार जन्म लिया तो उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष के दिन भगवान शिव, मां पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्शन दिए. साथ ही उन्होंने उन्हें अपनी पत्नी बनने का वरदान भी दे दिया. 


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