Kundali Yog: अगर आपकी कुंडली में हैं ये योग, तो जीवन में कभी नहीं होगी धन की कमी
यदि आपकी कुंडली में धनकारक योग हैं, तो योगकारक ग्रहों की दर्शांत-दशाओं में धन की प्राप्ति कराते हैं. आप अपनी कुंडली को सामने रखकर यहां अंकित धनकारक योगों को खोजिए, यदि ये हैं और योगकारक ग्रहों की दशा भी आ रही है तो आपको धनलाभ अवश्य होगा.
नई दिल्ली: यदि आपकी कुंडली में धनकारक योग हैं, तो योगकारक ग्रहों की दर्शांत-दशाओं में धन की प्राप्ति कराते हैं. आप अपनी कुंडली को सामने रखकर यहां अंकित धनकारक योगों को खोजिए, यदि ये हैं और योगकारक ग्रहों की दशा भी आ रही है तो आपको धनलाभ अवश्य होगा.
आइये जानते हैं कुछ धनकारक योग के बारे में:
लक्ष्मी योग
लग्नेश बली हो और नवमेश उच्च या स्वराशि में होकर केन्द्र या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है. अथवा लग्नेश एवं नवमेश की युति या परस्पर स्थान परिवर्तन हो, तो भी यह योग होता है. अथवा नवमेश एवं शुक्र ग्रह उच्च या स्वराशि का होकर केन्द या त्रिकोण में स्थित हो तो यह योग होता है. यदि यह योग कुंडली में हो तो जातक योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है.
महाधन योग
दशमेश एवं एकादशेश की युति दसवें भाव में हो तो यह योग होता है. यदि यह योग कुंडली में हो तो जातक योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में धन एवं सभी भौतिक सुख साधनों को पाता है.
धनमालिका योग
दूसरे भाव से लगातर सूर्यादि सातों ग्रह सातों राशि में स्थित हों तो यह योग होता है. यह योग जातक को धनी बनाता है.
अति धनलाभ योग
लग्नेश दूसरे स्थित हो, धनेश ग्याहरवें स्थित हो और एकादशेश लग्न में स्थित हो तो जातक कम प्रयासों में आसानी से बहुत धन अर्जित करता है.
बहु धनलाभ योग
लग्नेश दूसरे भाव में और द्वितीयेश लग्न में स्थित हो या ये दोनों ग्रह शुभ भाव में एक साथ बैठे हों तो जातक बहुत धन अर्जित करता है.
आजीवन धनलाभ योग
एक से अधिक ग्रह दूसरे भाव में स्थित हों और द्वितीयेश एवं गुरु बली हो या उच्च या स्वराशि में हो तो जातक जीवनपर्यन्त धनअर्जित करता रहता है.
धन प्राप्ति योग
द्वितीयेश एकादश भाव में और एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो तो जातक बहुत धन कमाता है.
विष्णु योग
नवमेश, दशमेश और नवांश कुण्डली का नवमेश दूसरे भाव में स्थित हो तो यह योग जातक को बहुत धन अर्जित कराता है.
वासुमति योग
गुरु, शुक्र, बुध व चन्द्र लग्न से तीसरे, छठे, दसवें एवं एकादश भाव में स्थित हों तो जातक अत्यधिक धनी होता है.
धनयोग
यदि चन्द्र व मंगल की युति शुभराशि में हो तो जातक बहुत धन कमाता है.
शुभकर्तरी योग
शुभग्रह दूसरे एवं बारहवें स्थित हों तो जातक बहुत धन पाकर प्रसन्नता सहित अनेक तरह के भोग भोगता है.
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