नई दिल्लीः Kundali Upay कुंडली में चंद्रमा क्यों कुपित हो जाते हैं. हम दैनिक जीवन में ऐसा क्या करते हैं, जिससे चंद्रमा का कोप सहना पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा के बिगड़ने का सबसे मुख्य कारण प्रकृति के विरुद्ध हमारी जीवन शैली है. देर रात सोना, सुबह देर से जागना, मस्तिष्क पर अतिरिक्त भार देना, बेवजह चिंतित रहना. गैर जरूरी कामों में व्यस्त रहना. अधिक उन्मादी होना. इन कारणों से मस्तिष्क को शांति नहीं मिलती.


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आपका मस्तिष्क सोता नहीं है, बल्कि दिन भर के कामों का एक फाइल तैयार कर देता है. जिससे आगे चलकर आप अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं. यही धीरे-धीरे एक बीमारी का रूप ले लेता है. अवसाद, चिंता, तनाव, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन ये सभी मस्तिष्क से संबंधित रोग है, और इन सबके लिए आपका जीवन शैली उत्तर दायी है.


ज्योतिषीय दृष्टिकोण से जानें चंद्रमा के कुपित होने का कारण
1. मानसिक परेशानी - अगर आप मानसिक परेशानी से पीड़ित हैं तो निश्चित तौर पर मान लीजिए कि आपकी कुंडली में चंद्रमा कुपित हैं. चंद्रमा के रुष्ट होते ही जो पहला संकेत सामने आता है, वो है मानसिक चिंता व परेशानी. ऐसे में जातक खुद को फंसा-फंसा महसूस करता है, उसे समझ नहीं आता कि वो अपनी समस्याओं से कैसे बाहर निकले.


2. माता से दूर होना - जातक की माता भी उससे रुष्ट हो जाती है और वो अपनी मां के सुख की कमी महसूस करता है. कहने का अर्थ ये है कि उसके और उसकी माता के बीच का रिश्ता पहले जैसा नहीं रहता.


3. बाईं आंख में कमजोरी - अगर किसी व्यक्ति की बाईं आंख अचानक कमजोर हो जाती है तो उन्हें समझ जाना चाहिए कि उनकी कुंडली में चंद्रमा रुष्ट हो चुके हैं.


4. आंखों के पास कालापन - जातक की आंखों के पास कालापन भी दिखने लगता है, जो उसके बुरे समय और थकान को दर्शाता है.


5. छाती में बलगम जमना - सुनने में तो ये आपको सामान्य सा लक्षण लगता है, लेकिन जब अगर आप बाकी संकेतों के साथ इसे देखा जाए तो ये पुष्टि करता है कि हां सच में चंद्रमा कुपित हो चुके हैं. यहीं नहीं उन्हें अन्य वात रोग भी अपना शिकार बना लेते हैं.


6. पुराने दिनों का स्मरण - चंद्रमा के गुस्सा होने पर जातक का बुरा समय आरंभ हो जाता है इसलिए उसे बार-बार अपने पुराने दिन स्मरण होते रहते है.


7. अधिक नींद आना - ऐसे में जातक खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से इतना थका लेता है कि उसे नींद आने लग जाती है और वो बिस्तर पर पड़ा रहता है.


8. मासिक धर्म में अनियमितता - अगर किसी महिला पर चंद्र रुष्ट होते हैं तो उनके माहवारी चक्र में अनियमितता होनी शुरू हो जाती है.


9. बालों का सफेद होना - कहा जाता है कि चिंता करने से बाल सफेद होते हैं, जबकि बालों के सफेद होने के पीछे भी चंद्र देव का ही हाथ होता है.


10. सिर दर्द - जातक को धीरे-धीरे अन्य बीमारियां अपना शिकार बना लेती है और उनमें सबसे पहले आता है सिर दर्द.


11. जल का असंतुलन - जातक के अंदर जल का अभाव और असंतुलन बना रहता है, उसकी त्वचा शुष्क हो जाती है, वो खुद को कमजोर महसूस करने लगता है. इस स्थिति में कुछ लोग तो जल्दी-जल्दी पानी पीना आरंभ कर देते हैं.


12. शरीर में कैल्शियम की कमी - पानी के साथ-साथ पीड़ित के शरीर का कैल्शियम भी लगातार कम होता जाता है और उसके शरीर से दुर्गंध भी आने लगती है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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