नई दिल्ली: श्रीकृष्ण के भक्त जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं वह पूरे दिन में केवल एक ही बार भोजन करते हैं. जन्माष्टमी का व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि पर समाप्त होने पर होता है. भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास  से जानते हैं  इस साल जन्माष्टमी व्रत का पारण समय का है. 


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पारण का समय 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास जी के अनुसार जन्माष्टमी व्रत का पारण का सही समय 27 अगस्त की सुबह 7 बजे से लेकर 10 बजे तक है. इस समय पूजा करने के बाद आप अपना व्रत खोल सकते हैं. 


जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त 
भगवान श्रीकृष्ण का पूजन मुहूर्त 26 अगस्त को देर रात 12 बजे से लेकर 27 अगस्त को देर सुबह 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा. पूजा के लिए 45 मिनट की अवधि है. 


जन्माष्टमी व्रत का नियम 
जन्माष्टमी व्रत के दौरान लोगों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. व्रत के दौरान गलती से भी अन्न को ग्रहण नहीं करना चाहिए. जन्माष्टमी का व्रत रात को भगवान कृष्ण की पूजा के बाद ही खोलना चाहिए. वहीं कुछ लोग जन्माष्टमी के व्रत का पारण अगले दिन सुबह करते हैं. जन्माष्टमी के दिन कृष्ण भगवान के मंदिर जाकर कृष्ण भगवान के दर्शन जरूर करने चाहिए. 


दान 
व्रत के अगले दिन दान जरूर करना चाहिए. आप अन्न, वस्त्र, फल इन चीजों का दान कर सकते हैं. दान करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है. 


भोग 
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को भोग में माखन, दूध और दही अर्पित कर सकते हैं. कृष्ण भगवान के भोग में तुलसी का पत्ता जरूर अर्पित करें. तुलसी कृष्ण भगवान को अधिक प्रिय है. 


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.


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