नई दिल्ली: Kartik Maas 2022: आज कार्तिक मास का आरंभ हो रहा है. इस मास में गंगा स्नान के बाद दीप-दान का फल दस यज्ञों के समान होता है. ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने इसे महा पुनीत पर्व कहा है. कार्तिक मास दान-पुण्य के कार्य विशेष फलदायी होता है.


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जानिए कार्तिक मास व्रत और धार्मिक कर्म
कार्तिक मास में गंगा स्नान, दीपदान, होम, यज्ञ और ईश्वर की उपासना का विशेष महत्व है. इस माह में किए जाने वाले धार्मिक कर्मकांड विशेष रूप से फलित होते हैं. कार्तिक मास में प्रातःकाल जाग कर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें.


कार्तिक प्रतिपदा से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं. कार्तिक मास का व्रत रखने वाले व्रती को किसी जरूरतमंद को भोजन और हवन अवश्य कराना चाहिए. कार्तिक मास यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करना चाहिए.


कार्तिक मास में स्नान व दान का महत्व क्या है
धार्मिक कार्यों के लिए यह माह सर्वश्रेष्ठ माना गया है. जो लोग नदियों में स्नान नहीं कर पाते हैं, वह सुबह अपने घर में स्नान व पूजा पाठ करते हैं. कार्तिक माह में शिव, चण्डी, सूर्य तथा अन्य देवी-देवताओं के मंदिरों में दीप जलाने तथा प्रकाश करने का अत्यधिक महत्व माना गया है. इस माह में भगवान विष्णु का पुष्पों से अभिनंदन करना चाहिए. ऐसा करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान पुण्य फल मिलता है.


शाम को करें दीपदान
सुबह स्नान करने के बाद राधा-कृष्ण का तुलसी, पीपल, आंवले आदि से पूजन करना चाहिए. सभी देवताओं की परिक्रमा करने का महत्व मान गया है. सायंकाल में भगवान विष्णु की पूजा तथा तुलसी की पूजा करें. संध्या समय में दीपदान भी करना चाहिए.



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