जानिए चित्रगुप्त भगवान की पूजा का महत्व, आज क्यों किया जाता है यमुना में स्नान?
Yamuna Snan 2022: यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान का खास महत्व है. यमुना में पवित्र जल में स्नान के बाद दोपहर में बहन के घर जाकर भोजन करके कुछ उपहार दिया जाता है. इस दिन बहन के घर भोजन करने और उसे उपहार देने से सम्मान में वृद्धि होती है.
नई दिल्ली: यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान का खास महत्व है. यमुना में पवित्र जल में स्नान के बाद दोपहर में बहन के घर जाकर भोजन करके कुछ उपहार दिया जाता है. इस दिन बहन के घर भोजन करने और उसे उपहार देने से सम्मान में वृद्धि होती है. आजकल व्यस्त जीवनशैली में इस त्यौहार पर परिवार का मिलना भी अच्छा होता है. इस दिन अगर अपनी बहन न हो तो ममेरी, फुफेरी या मौसेरी बहनों को उपहार देकर ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं.
जानें आज क्या है यमुना में स्नान करने का महत्व
जो पुरुष यम द्वितीया को बहन के हाथ का खाना खाता है, उसे धर्म, धन, अर्थ, आयुष्य और विविध प्रकार के सुख मिलते हैं. साथ ही यम द्वितीया के दिन शाम को घर में बत्ती जलाने से पहले घर के बाहर चार बत्तियों से युक्त दीपक जलाकर दीप-दान करना भी फलदायी होता है. पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता (अर्थात उसको मुक्ति प्राप्त हो जाती है).
जानिए चित्रगुप्त भगवान की पूजा का महत्व
दीपावली त्यौहार के अंतिम दिन यानि की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को चित्रगुप्त भगवान की भी पूजा की जाती है. चित्रगुप्त भगवान का वर्णन पद्य पुराण, स्कन्द पुराण, ब्रह्मपुराण, यमसंहिता और याज्ञवलक्य स्मृति सहित कई ग्रंथों में किया गया है. लेखन कार्य से चित्रगुप्त भगवान का जुड़ाव होने की वजह से इस दिन कलम, दवात और बहीखातों की भी पूजा की जाती है.
पौराणिक मान्यताएं
चित्रगुप्त भगवान को देवलोक में धर्म का अधिकारी भी कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार चित्रगुप्त भगवान की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा के शरीर से हुई है. एक दूसरी कथा के अनुसार चित्रगुप्त भगवान की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई है.
कौन हैं चित्रगुप्त?
भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्मा जी के चित्त से हुआ था. भगवान चित्रगुप्त को देवताओं के लेखपाल और यम के सहायक के रूप में पूजा जाता है. इसी दिन भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा का विधान भी है. साथ ही लेखनी की पूजा भी चित्रगुप्त जी की पूजा के दौरान ही की जाती है. चित्रगुप्त जी का कार्य मनुष्य के अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखना है. माना जाता है कि मनुष्य को उनके कर्मों के अनुसार ही फल की प्राप्ति होती है और उनके जीवन व मृत्यु की अवधि का हिसाब-किताब भी कर्मों के अनुसार ही लिखा जाता है. ये लेखा-जोखा भी भगवान चित्रगुप्त जी ही रखते हैं.
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