नई दिल्ली. दीवाली के अगले दिन यानी कि आज हर जगह गोवर्धन पूजा की जा रही है. इसमें भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है. अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह. श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं.


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गोवर्धन पूजा के दिन बनने वाले अन्नकूट में कई सारी सब्ज़ियों को एक साथ मिलाकर, मिलीजुली सब्जी और कढ़ी-चावल, पूड़ी आदि बनाया जाती है. इसके बाद भगवान कृष्ण को इसका भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है. यही नहीं इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाया जाता है. इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है.


क्यों होता है गोवर्धन पूजा
मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जंतुओं और मनुष्यों के जीवन को देवराज इंद्र के कोप से बचाया था. इसी दिन से गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई.इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा करते हैं।


ऐसे शुरू हुई 56 भोग की परंपरा
ऐसी मान्यता है इंद्र के प्रकोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए और उनका घमंड तोड़ने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था. इंद्र ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए लगातार 7 दिनों तक ब्रज में मूसलाधार बारिश कराते रहे. तब भगवान कृष्ण को लगातार सात दिनों तक भूखे-प्यासे अपनी उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठाएं रखना पड़ा था. इसके बाद उन्हें सात दिनों और आठ पहर के हिसाब से 56  व्यंजन खिलाए गए थे. माना जाता है तभी से ये 56 भोग की परम्परा की शुरुआत हुई.


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