Mahashivratri Special: क्या है भगवान शिव के तीसरे नेत्र का महत्व? जिसके खुलने से आता है प्रलय
Mahashivratri Special: भगवान शिव की तीसरी आंख बेहद शक्तिशाली मानी जाती है. माना जाता है कि अपनी तीसरी आंख से भगवान भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं.
Mahashivratri Special भगवान शिव को हिंदू धर्म में महाकाल, रूद्र, नीलकंठ और त्रिनेत्र समेत कई नामों से जाना जाता है. इन सभी में से त्रिनेत्र नाम सबसे रहस्यमयी है. भगवान शिव की तीन आंखों के कारण इनको त्रिनेत्र भी कहा जाता है. लोककथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव को क्रोध आता है तो उनकी तीसरी आंख खुल जाती है और धरती पर प्रलय आ जाता है.
एकमात्र शिव ही ऐसे देवता हैं, जिनकी तीन आंखें हैं. महादेव की दाहिनी आंख सूर्य का प्रतीक है, बाई आंख चंद्रमा का प्रतीक और तीसरी आंख अग्नि को दर्शाती है. भगवान शिव की तीसरी आंख को आमतौर पर शक्ति और विनाश के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
भगवान शिव की तीसरी आंख बेहद शक्तिशाली मानी जाती है. माना जाता है कि अपनी तीसरी आंख से भगवान भूत, भविष्य और वर्तमान को देख सकते हैं. शिव की तीसरी आंख को शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो बुराई से अच्छाई की रक्षा करती है.
शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान की तीसरी आंख खुलती है, तो सभी अंधकार और अज्ञान का नाश हो जाता है. माना जाता है कि जब ब्रमांड में सबकुछ अच्छा नहीं होता तब शिव जी क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख खोलते हैं. उनकी तीसरी आंख के खुलने का मतलब है कि संसार में भूचाल आने वाला है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
यह भी पढ़िए- शिवलिंग की पूजा करते समय बरतें ये सावधानियां, इन चीजों को चढ़ाने से होगा बड़ा अपशकुन
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.