नई दिल्ली. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. नवरात्रि का पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा का दिन है. माता का ये रूप मातृत्व को परिभाषित करने वाला है. मान्यता है कि निःसंतान दंपति मिलकर मां के इस स्वरूप की पूजा करें तो उन्हें तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है.  


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मां स्कंदमाता की पूजा पवित्र और एकाग्र मन से करनी चाहिए. स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. इसके अलावा स्कंदमाता की कृपा से संतान के इच्छुक दंपत्ति को संतान सुख प्राप्त हो सकता है.


स्कंदमाता की पूजा करने से होती है सौभाग्य की प्राप्ति
स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद की माता. भगवान कार्तिकेय का दूसरा नाम स्कंद कुमार है. स्कंदमाता की पूजा करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है. भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है.


अगर है बृहस्पति ग्रह कमजोर तो करें स्कंदमाता की पूजा
अगर कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो तो स्कंदमाता की पूजा आराधना करनी चाहिए. बृहस्पति ग्रह मजबूत होने से जातक को शिक्षा, नौकरी, मान-सम्मान और समृद्धि की प्राप्ति में सफलता मिलती है. स्कंदमाता की विधि सम्मत पूजा करने से गुरू ग्रह स्वतः मजबूत हो जाता है.


स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए भी पूजा
अगर आप किसी भी शारीरिक समस्या से ग्रसित हैं तो आपको स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए. माता अपने भक्तों को निरोगी और चंचल काया होने का वरदान देती हैं. लम्बे समय से बीमारग्रस्त जातक को नवरात्रि में स्कंदमाता की पूजा और उनकी आरती अवश्य करनी चाहिए. अगर आप पूरे उपवास रखते हैं तो इसका मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. माता की कृपा से आपकी शारीरिक बीमारियां ठीक हो जाती है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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