नई दिल्लीः Pithori Amavasya: आज पिठोरी अमावस्या है. इसे पिथौरा, भाद्रपद और कुशोत्पाटिनी या कुशी या कुशग्रहणी अमावस्या भी कहता है. वैदिक पंचांग के मुताबिक भाद्रपद अमावस्या गुरुवार 14 सितंबर को सुबह 04.48 मिनट से शुरू हो जाएगी और शुक्रवार 15 सितंबर को सुबह 7.09 बजे संपन्न होगी. ऐसे में उदया तिथि के चलते भाद्रपद अमावस्या आज मनाई जाएगी. 


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पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक
भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इसलिए इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. इस संदर्भ में पौराणिक मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती ने इंद्राणी को इस व्रत का महत्व बताया था. विवाहित स्त्रियों की ओर से संतान प्राप्ति और अपनी संतान के कुशल मंगल के लिए उपवास किया जाता है और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. इस अमावस्या को पिठोरी या कुशोत्पाटिनी अमवास्या भी कहते हैं. आज शाम को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और अपने पितरों को स्मरण करें. इसके साथ ही पीपल की परिक्रमा लगाए इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.


आज स्नान-ध्यान का है बड़ा महत्व
आज सुबह उठकर किसी नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें. नदी के तट पर पितरों की आत्म शांति के लिए पिंडदान करें और किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें. इस दिन कालसर्प दोष निवारण के लिए पूजा-अर्चना भी की जा सकती है. अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों को स्मरण करें. पीपल की सात परिक्रमा लगाएं. अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है. इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है.


कपड़े और अन्न का करना चाहिए दान
अमावस्या को स्नान, दान और तर्पण के लिए सबसे शुभ दिन माना गया है. मान्यता है कि इस दिन हाथों में कुश लेकर तर्पण करने से कई पीढ़ियों के पितर तृप्त हो जाते हैं. यदि कुंडली में पितृदोष या कालसर्प दोष हो तो इससे मुक्ति के लिये अमावस्या का दिन सबसे शुभ माना जाता है. आज के दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार, कपड़े और अन्न का दान करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.


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