नई दिल्ली. Death in Pitru Paksha हिन्दू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होकर कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होती है। इस वर्ष पितृ पक्ष 10 सितंबर से शुरू होकर 25 सितंबर (रविवार) को समाप्त होगा. इस अवधि के दौरान पूर्वजों की आत्माओं की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए श्राद्ध संस्कार किया जाता है.


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लेकिन क्या आपको पता है कि पितृ पक्ष में अगर किसी का निधन होता है, तो उसके साथ क्या होता है. श्राद्ध के दिनों में मृत्यु को शुभ माना जाता है या अशुभ? आज पितृ पक्ष की एकादशी तिथि है. यह एकमात्र एकादशी है जो श्राद्ध पक्ष में आती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है.


पितृ पक्ष में मृत्यु शुभ या अशुभ?
शास्त्रों के अनुसार पितृ पक्ष में मृत्यु को शुभ माना जाता है. पितृपक्ष के दिनों में भले ही कोई शुभ कार्य नहीं होते हैं, लेकिन ये दिन अशुभ नहीं हैं. श्राद्ध के दिनों में मरने वाले को बहुत भाग्यशाली माना जाता है. कहा जाता है कि इस दौरान स्वर्ग के द्वार खुले होते हैं और इस पक्ष में मृत्यु से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. 


मान्यता है कि पितृपक्ष में शरीर त्यागने वाले वाले व्यक्ति की आत्मा अपने दिवंगत परिजनों की आत्माओं से संबंध जोड़ने की कोशिश करती है. जिससे उसका आगे का सफर आसान हो जाता है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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