नई दिल्ली: सनातन संस्कृति में दक्षिणावर्ती शंख का विशेष महत्व है, परन्तु मोती शंख अपने आप में दुर्लभ व् महत्वपूर्ण शंख है. इसकी चमक मोती के सामान है इसलिए इसे मोती शंख का नाम दिया गया है. यह एक गोल आकार का सुन्दर सुरम्य शंख है जो की अपने आप में कईं विशेषताएं समेटे हुए है. यह शंख अलग अलग माप में पाया जाता है, यह प्रकृति का वरदान है जो मनुष्य को सहेज ही प्राप्त है.


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सनातन परंपरा में की जाने वाली पूजा में शंख का बहुत महत्व है. समुद्र से निकले रत्नों में से एक शंख के बारे में मान्यता है कि यह जिस घर में रहता है, उस घर में हमेशा माता लक्ष्मी का वास बना रहता है. शंख बजाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं दूर होती हैं. पृथ्वी पर तमाम तरह के शंख पाए जाते हैं, जिनका अपना अलग-अलग महत्व है.


मोती शंख को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ माना गया है. मोती शंख घर मे रखे जाने वाले शंखों से कुछ अलग होता है. मोती शंख न सिर्फ अलग आकार लिए होता है बल्कि यह अन्य शंखों के मुकाबले काफी चमकीला भी होता है.


ऐसे करें असली मोती शंख की पहचान
मोती शंख साधारणतया गोल आकर का होता है, इसमें एक सफ़ेद धारी होती है जो ऊपर से नीची तक गोलाई लेते हुए खींची होती है. तथा पूरा शंख एक मोती की तरह चमकता है. तिकोनी आकृति के साथ कुछ गोलाई लिए हुए, मोती जैसी चमकीली आभा के कारण ही इसे मोती शंख कहते हैं.


​मोती शंख मां लक्ष्मी का रूप
मोती शंख को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है. कार्तिक का पूरा महीना माता लक्ष्मी की पूजा के लिए बड़ा ही शुभ माना जाता है. सभी लोग यह प्रयास करते हैं की माँ लक्ष्मी उनके जीवन में सदैव के लिए ठहर जाए. इसके लिए कई तरह के धार्मिक कर्मकांड भी करते हैं. अगर मोती शंख से माता लक्ष्मी की पूजा करते हैंं उनकी कृपा आप पर जल्दी बनती है.


पूजा से मिलती है आर्थिक उन्नति 
यदि सिद्ध प्राण-प्रतिष्ठित मोती-शंख अपने पूजा स्थान में रखा / स्थापित किया जाए तथा उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र पर चढ़ाया जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होना प्रारंभ हो जाती है .
मोती शंख को ''दारिद्र्य-निवारक” कहा गया है. जिसे साक्षात मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है. अतः यदि इस शंख को घर, व्यापार स्थल या कारखाने में स्थापित किया जाए तो स्वतः ही उसकी सम्पूर्ण दरिद्रता समाप्त हो जाती है और घर व्यापार में आशातीत वृद्धि और सुख समृद्धि का वास होने लग जाती है .


इस मंत्र का करें जाप
मोती शंख को घर में स्थापित कर दें और रोज इस मंत्र का जप “ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः” 11 बार बोलकर एक-एक चावल का दाना शंख में डाले, इस प्रकार 108 दाने इस शंख में डालें और इस प्रकार 11 दिन तक प्रयोग करें, यह प्रयोग इतना शक्तिशाली है कि यदि इसे कोई भी व्यक्ति लगातार करे तो व्यक्ति की कि दरिद्रता दूर हो जाती है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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