नई दिल्लीः Sankashti Chaturthi: कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं और उनका आशीर्वाद हमेशा बना रहता है.


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निर्जला व्रत भी रखते हैं लोग
बहुत से लोग इस दिन निर्जला व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते हैं. इसलिए धर्म शास्त्रों में इस व्रत को जनकल्याणकारी बताया गया है. चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश के मंत्र ओम गणेशाय नमः या ओम गं गणपतये नमः लगातार जपते रहें. साथ ही आप गणेशजी के 12 नाम का जप करें.


संकष्टी गणेश चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत करने वाले ब्रह्म मुहूर्त में नित्य क्रिया करके भगवान गणेश का ध्यान करते हुए ‘मम वर्तमानागामि सकलानिवारणपूर्वक सकल अभीष्टसिद्धये गणेश चतुर्थीव्रतमहं करिष्ये’ इन पंक्तियों के साथ व्रत का संकल्प लें और व्रत रखें. इसके बाद शुभ मुहूर्त में एक चौकी लाल या पीला स्वच्छ कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रख लें.


इस बात का रखें ध्यान
पूजा करने से पहले ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर की तरफ हो. इसके बाद गंगाजल से चारों तरफ छिड़काव करें और देसी घी का दीपक जलाएं. इसके बाद गणेशजी को फूल, चंदन, अक्षत, पान, रोली अर्पित करने के बाद 21 दूर्वा घास की गांठे चढ़ाएं और विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करें. प्रसाद के तौर पर भगवान के सामने केला और मोदक रखें और उनकी आरती उतारें. पूरे दिन भगवान का व्रत रखें. फिर चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें.


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