नई दिल्ली: सावन 2022 की शुरुआत हो चुकी है. सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को है. सावन के इस पवित्र महीने में भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते साथ ही भगवान शिव की पूजा करते है. भगवान शिव को प्रसाद के रूप में बेलपत्र, धतूरा और फल चढ़ाया जाता है. माना जाता है भगवान शिव को बेल पत्र चढ़ाने से सभी मनोकामना पूरी हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं भगवान शिव को कभी भी तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है. मान्यता है कि तुलसी चढ़ाने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं. आपके दिमाग में भी सवाल आ रहा है कि आखिर भगवान शिव को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है? इसके पीछे का क्या कारण है. आपके इन सभी सवालों का जवाब हम इस लेख में देंगे. आइए जानते हैं इसके पीछे का क्या कारण है. 


क्यों भगवान शिव को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती


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भगवान शिव को तुलसी इसलिए नहीं चढ़ाई जाती है क्योंकि यह शापित है. पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी का पूर्व जन्म वृंदा नाम से हुआ था. वह जालंधर नाम के एक राक्षस की पत्नी थी. वह राक्षय वृंदा पर काफी जुल्म करता था. इसके अलावा जालंधर ने भगवान शिव से युद्ध भी शुरू किया. 


तब भगवान शिव के कहने पर विष्णु भगवान ने छल से  वृंदा की पतिव्रत धर्म को भंग कर दिया. जब वृंदा को पता चला तो उन्होंने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया. जब भगवान विष्णु ने वृंदा को बताया कि यह सब उन्हें जालंधर से बचाने के लिए किया गया था. उसके बाद भगवान विष्णु ने वृंदा को श्राप देते हुए कहां तुम लकड़ी बन जाए. इस श्राप के बाद से वृंदा तुलसी का पौध बन गई 


सावन के दिन ऐसे करें भगवान शिव की पूजा 


सावन के दिनों भगवान शिव की पूजा करने से सभी तरह की मनोकामना पूरी हो जाती है. सावन के दिनों भगवान शिव को कच्चा दूध अर्पित करें. इसके बाद चंदन लगाकर भगवान शिव को फल चढ़ाएं. 


ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न 


भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बेल पत्र जरूर चढ़ाए. शिवलिंग पर 3 पत्तों वाला बेल पत्र चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते है.  



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