नई दिल्ली. वैदिक ज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शनि ग्रह बली हो तो व्यक्ति को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं. आपको बता दें कि तुला राशि में शनि उच्च के होते है. यहां शनि के उच्च होने से मतलब उसके बलवान होने से है. इस दौरान यह जातकों को कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय बनाते हैं.


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इसके साथ ही इसके प्रभाव से व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है. यह व्यक्ति को धैर्यवान भी बनाते हैं. अगर कुंडली में शनि देव उच्च के या सकारात्मक स्थित हों तो व्यक्ति निरोगी रहता है और उसकी आयु पूर्ण होती है. क्योंकि शनि देव को आयु प्रदाता भी कहा जाता है.


शनि देव को क्या पसंद नहीं है?
मंगल और शनि दोनों ग्रहों का स्वभाव क्रोध है. कहते हैं कि शनिवार को मसूर दाल खाने से व्यक्ति के क्रोध में बढ़ोतरी हो सकती है. कहते हैं कि शनिदेव शीतल पदार्थों को पसंद करते हैं. शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाना चाहते हैं शनिवार को लाल मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए.


शनिदेव की प्रिय वस्तु
शनिदेव के लिए सरसों के तेल का दान काफी अच्छा माना जाता है. अगर शनि की वजह से आपको कोई काम अटका हुआ है या जीवन में सफलता नहीं मिल पा रही है तो सरसों के तेल का दान जरूर करना चाहिए. शनिवार की सुबह लोहे के बर्तन में सरसों का तेल लें और उसमें एक रुपए का सिक्का भी डालें.


शनि देव की सबसे प्रिय राशि
मकर राशि शनिदेव की प्रिय राशि होती है। मकर राशि के लोग काफी मेहनती और उत्साही स्वभाव के होते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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