नई दिल्ली. ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को अन्य ग्रहों में से सबसे प्रमुख ग्रह माना जाता है. शनि देव को किसी के कर्मों का फल देने का काम सौंपा गया है और इसी वजह से शनि देव को न्याय और कर्म का देवता कहा जाता है. शनि देव यम के भाई और भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं. ज्योतिषीय रूप से शनि ग्रह को सबसे धीमा और सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है. 


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शनि महाराज को विश्वासघात करने वाले, पीठ में छुरा घोंपने और लोगों के साथ अन्याय करने वालों के लिए बहुत हानिकारक कहा जाता है. वह लोगों के पिछले जन्मों के साथ-साथ वर्तमान जीवन में किए गए पापों के लिए पीड़ित करते हैं. बहुत से लोग शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती से पीड़ित होते हैं. शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात साल की अवधि और ढैय्या की अवधि ढाई साल की होती है.


आइए जानते हैं कुंडली से शनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के उपाय...


1. जो लोग शनि की साढ़े साती के प्रभावों से पीड़ित हैं, उन्हें हनुमान जी का जाप करना चाहिए. 
2. शनि के बुरे प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए.
3. इन लोगों को काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
4. शनि के प्रकोप से बचने के लिए लोगों को जुआ, शराब पीने और मांस का सेवन करने से बचना चाहिए.
5. शनि के बुरे असर से छुटकारा पाने के लिए अपने कर्मचारियों और अन्य जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और जूते भेंट करना चाहिए.
6. शनिदेव की मूर्ति से कभी भी आंख नहीं मिलाना चाहिए. इसे अशुभ माना जाता है.
7. घर या कार्यस्थल पर शांत और विनम्र रहने की कोशिश करें. उनके साथ कभी कठोर व्यवहार न करें.
8. किसी भी षड़यंत्र में खुद को शामिल करने से बचना चाहिए.
9. सरसों के तेल से भरी स्टील की कटोरी में अपनी परछाई देखकर भिखारी को दे दें. इसे छाया दान कहते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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